भारत का संविधान सिद्धांत और व्यवहार Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व
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    NCERT Solution For Class 11 राजनीतिक विज्ञान भारत का संविधान सिद्धांत और व्यवहार

    चुनाव और प्रतिनिधित्व Here is the CBSE राजनीतिक विज्ञान Chapter 3 for Class 11 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 11 राजनीतिक विज्ञान चुनाव और प्रतिनिधित्व Chapter 3 NCERT Solutions for Class 11 राजनीतिक विज्ञान चुनाव और प्रतिनिधित्व Chapter 3 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 11 राजनीतिक विज्ञान.

    Question 5
    CBSEHHIPOH11021766

    पृथक निर्वाचन-मंडल और आरक्षित चुनाव क्षेत्र के बीच क्या अंतर है ? संविधान निर्माताओं ने पृथक निर्वाचन-मंडल को क्यों स्वीकार नहीं किया ?

    Solution

    पृथक निर्वाचन-मंडल: पृथक निर्वाचन-मंडल के अंतर्गत एक चुनाव क्षेत्र से अलग-अलग जाति के उम्मीदवार खड़े होते हैं तथा प्रत्येक मतदाता अपनी जाति के उम्मीदवार को ही वोट देता है।
    आरक्षित चुनाव क्षेत्र: इस व्यवस्था के अंतर्गत, किसी निर्वाचन क्षेत्र में सभी मतदाता वोट तो डालते हैं , लेकिन प्रत्याशी केवल उसी समुदाय या सामाजिक वर्ग का होता हैं जिसके लिए वह वह सीट आरक्षित है।

    संविधान सभा के अनेक सदस्यों को पृथक निर्वाचन-मंडल प्रणाली पर शंका थी। उनका विचार था कि यह व्यवस्था हमारे उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पाएगी। उनके मत में यह व्यवस्था भारत के लिए अभिशाप रही है, इसने देश की अपूरणीय क्षति की है। यह प्रणाली साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देती है और इससे समाज की एकता नष्ट होती हैं। पृथक निर्वाचन-मंडल प्रणाली से मतदाताओं का दृष्टिकोण होता है और मतदाता देश हित के स्थान पर अपने सम्प्रदाय के हित को महत्व देते हैं। इन सभी बातों के कारण पृथक निर्वाचन-मंडल को स्वीकार नहीं किया गया।

    Question 6
    CBSEHHIPOH11021767

    निम्नलिखित में कौन-सा कथन गलत है ? इसकी पहचान करें और किसी एक शब्द अथवा पद को बदलकर, जोड़कर अथवा नये क्रम में सजाकर इसे सही करें।

    (क) एक फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट प्रणाली ('जो सबसे आगे वही जीते प्रणाली') का पालन भारत केहर चुनाव में होता है।
    (ख) चुनाव आयोग पंचायत और नगरपालिका के चुनावों का पर्यवेक्षण नहीं करता।
    (ग) भारत का राष्ट्रपति किसी चुनाव आयुक्त को नहीं हटा सकता।
    (घ) चुनाव आयोग में एक से ज़्यादा चुनाव आयुक्त की नियुक्ति अनिवार्य है। 

    Solution

    (क) यह कथन गलत हैं क्योंकि पी .टी.पी. प्रणाली का प्रयोग हर समय नहीं होता है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, व राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव एकल मत प्रणाली के द्वारा होता हैं। अन्य चुनावों में पी .टी.पी. प्रणाली का प्रयोग होता है।   
    (ख) यह कथन सही हैं।  
    (ग) यह कथन गलत हैं कि भारत का राष्ट्रपति किसी चुनाव आयुक्त को हटा नहीं सकता। चुनाव आयुक्त के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने पर राष्ट्रपति चुनाव आयुक्त को हटा सकता हैं। 
    (घ) यह कथन गलत हैं कि चुनाव आयोग में एक से ज़्यादा चुनाव आयुक्त की नियुक्ति अनिवार्य है। राष्ट्रपति अपनी इच्छा अनुसार एक या उससे अधिक ज़्यादा चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कर सकता हैं। 

    Question 7
    CBSEHHIPOH11021768

    भारत की चुनाव-प्रणाली का लक्ष्य समाज के कमज़ोर तबके की नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना है। लेकिन अभी तक हमारी विधायिका में महिला सदस्यों की संख्या 10 प्रतिशत तक भी नहीं पहुँचती। इस स्थिति में सुधार के लिए आप क्या उपाय सुझाये ?

    Solution

    चुनाव की कोई प्रणाली कभी आदर्श नहीं हो सकती। उसमें अनेक कमियाँ और सीमाएँ होती हैं। लोकतान्त्रिक समाज को अपने चुनावों को और अधिक स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने के तरीकों को बराबर खोजते रहना चाहिए।

    भारतीय संविधान में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन-जातियों के लोगों के लिए संसद व राज्यों की विधान सभाओं में सीटें आरक्षित की गई हैं। लेकिन संविधान में अन्य उपेक्षित या कमजोर वर्गों जैसे- महिलाओं के लिए इस प्रकार के आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं हैं। यह कथन सही कि महिलाओं कि जनसंख्या का 10 प्रतिशत भी प्रतिनिधित्व संसद व विधान-पालिकाओं में नहीं हो पाया है। 

    इस स्थिति में सुधार के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:

    1. विधानपालिकाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित होनी चाहिए।
    2. महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक स्तर पर सक्षम करके उनके शैक्षणिक स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास करना चाहिए।
    3. महिलाओं को राजनीति में आगे लाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
    4. पित्रसत्तात्मक समाज अनेक तरीक़ों से स्त्रियों को दबाता कुचलता है। इन सब कारणों ने भी स्त्रियों के आर्थिक और राजनीतिक अवसरों पर अपना प्रभाव डाला है। उनके साथ परिवार में भी समानता का व्यवहार होना चाहिए।
    5. महिलाओं को अपनी जागरूकता बढ़ाने की ज़रूरत हैं और स्वयं आगे बढ़कर इस सन्दर्भ में आवाज़ उठाने की भी ज़रूरत हैं।

    इस उद्देश्य के लिए, हमें संविधान में संशोधन की आवश्यकता है। हालांकि संसद में कई बार इस तरह के संशोधन की लिए प्रस्ताव दिया गया है लेकिन अभी तक पारित नहीं किया गया है।

    Question 8
    CBSEHHIPOH11021769

    एक भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने एक राजनीतिक दल का सदस्य बनकर चुनाव लड़ा। इस मसले पर कई विचार सामने आये। एक विचार यह था कि भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एक स्वतंत्र नागरिक है। उसे किसी राजनीतिक दल में होने और चुनाव लड़ने का अधिकार है। दूसरे विचार के अनुसार, ऐसे विकल्प की संभावना कायम रखने से चुनाव आयोग की निष्पक्षता प्रभावित होगी। इस कारण, भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। आप इसमें किस पक्ष से सहमत हैं और क्यों ?

    Solution

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 (i) के अनुसार, चुनाव आयोग के लिए एक प्रावधान है, जो संघ संसद, राज्य विधानसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव आयोजित करने के लिए जिम्मेदार बनाता हैं। चुनाव आयोग देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए एक स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी है।
    हम दूसरे पक्ष के विचारों से सहमत हैं जिसके मत में भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, क्योंकि चुनाव आयुक्त उस पद पर स्वयं रह चुके हैं जो चुनाव की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। ऐसे में यह उचित होगा कि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीनीति से दूर रहे व किसी प्रकार का चुनाव आदि न लड़े।
    अत: जिस प्रकार न्यायालयों को न्यायधीशों पर अवकाश प्राप्ति की बाद नीजि वकालत पर पाबन्दी हैं उसी प्रकार से मुख्य चुनाव आयुक्त व चुनाव आयुक्तों पर भी पाबन्दी रहनी चाहिए।

    Question 9
    CBSEHHIPOH11021770

    भारत का लोकतंत्र अब अनगढ़ 'फर्स्ट पास्ट द पोस्ट' प्रणाली को छोड़कर समानुपातिक प्रतिनिध्यात्मक प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हो चुका है' क्या आप इस कथन से सहमत हैं? इस कथन के पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दें।

    Solution

    हमारी राय में भारतीय लोकतंत्र निम्नलिखित कारणों से समानुपातिक प्रतिनिध्यात्मक प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार नहीं है:

    1. आनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली बहुत जटिल है। एक सामान्य व्यक्ति इस प्रणाली को आसानी से समझ नहीं सकता है। वोटों पर पसंद अंकित करना, कोटा निश्चित करना, वोटो की गिनती करना और वोटो को पसंद के अनुसार हस्तांतरित करना आदि ये सब बातें एक साधारण पढ़े-लिखें समझ नहीं पाते।
    2. आनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक है। इस प्रणाली के अंतर्गत छोटे-छोटे दलों को प्रोत्साहन मिलता हैं। अल्पसंख्यक जातियाँ भी अपनी भिन्नताएँ बनाये रखती हैं और दूसरी जातियों की साथ अपने हितों को मिलाना नहीं चाहती। परिणाम-स्वरूप राष्ट्र छोटे छोटे वर्गों और गुटों में बटँ जाता हैं।
    3. आनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली भारत जैसे बड़े देश के लिए उपयुक्त नहीं है। भारत में मतदाताओं की संख्या 100 करोड़ से अधिक है। यहाँ, चुनाव की इस प्रणाली का पालन करना बहुत मुश्किल है क्योंकि मतदाताओं को एक उम्मीदवार से दूसरे उम्मीदवार तक स्थानांतरित करना लगभग असंभव है।
    4. आनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली की अंतर्गत राजनीतिक दलों का महत्व बहुत अधिक होता है। मतदाता को किसी-न-किसी दल के पक्ष में वोट डालना होता हैं क्योंकि इस प्रणाली के अंतर्गत निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ सकते।
    5. इस प्रणाली के अंतर्गत निर्वाचन-क्षेत्र बहु सदस्यीय होते हैं और एक क्षेत्र में कई प्रतिनिधि होते हैं। चूँकि एक क्षेत्र का प्रतिनिधि निश्चित नहीं होता, इसलिए प्रतिनिधियों में उत्तरदायित्व की भावना पैदा नहीं होती।

    अत: हम कह सकते हैं कि यह प्रणाली केवल ऐसे देश में ही लागू हो सकती है जहाँ लोग अधिक शिक्षित हो, साथ ही यह प्रणाली ऐसे राज्य की लिए कदाचित उचित नहीं ठहराई जा सकती, जहाँ पर संसदीय शासन लागू हो।

    Question 10
    CBSEHHIPOH11021771

    एक नए देश के संविधान के बारे में आयोजित किसी संगोष्ठी में वक्ताओं ने निम्नलिखित आशाएँ जतायीं। प्रत्येक कथन के बारे में बताएँ कि उनके लिए फर्स्ट- पास्ट-द-पोस्ट ( सर्वााइधक मत से जीत वाली प्रणाली) उचित होगी या समानुपातिक प्रतिनिधित्व वाली प्रणाली ? 

    (क) लोगों को इस बात की साफ साफ जानकारी होनी चाहिए कि उनका प्रतिनिधि कौन है ताकि वे उसे निजी तौर पर जिम्मेदार ठहरा सकें।

    (ख) हमारे देश में भाषाई रूप से अल्पसंख्यक छोटे-छोटे समुदाय हैं और देश भर में फैले हैं, हमें इनकी ठीक- ठीक नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना चाहिए।

    (ग) विभिन्न दलों के बीच सीट और वोट को लेकर कोई विसंगति नहीं रखनी चाहिए।

    (घ) लोग किसी अच्छे प्रत्याशी को चुनने में समर्थ होने चाहिए भले ही वे उसके राजनीतिक दल को पसंद न करते हों।

    Solution

    (क) इस कथन के अनुरूप फर्स्ट- पास्ट-द-पोस्ट प्रणाली उचित होगी। क्योंकि इस प्रणाली में मतदाता तथा उम्मीदवार की बीच में सीधा सम्पर्क होता हैं जिस कारण मतदाता उम्मीदवारों को भली-भांति जान सकते हैं।

    (ख) इस कथन के अनुसार समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली उचित होगी। क्योंकि इस प्रणाली का उद्देश्य प्रत्येक दल को उचित प्रतिनिधित्व दिलाना हैं जिससे अल्पसंख्यक वर्ग की लोगों की हितों की रक्षा होती हैं।

    (ग) इस कथन के अनुसार समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली उचित होगी। क्योंकि इस प्रणाली के अंतर्गत हर पार्टी को प्राप्त मत के अनुपात में विधायिका में सीटें हासिल होती हैं।

    (घ) इस कथन के अनुसार फर्स्ट- पास्ट-द-पोस्ट प्रणाली उचित होगी। क्योंकि इस प्रणाली के अंतर्गत नागरिक अपनी पसंद का उम्मीदवार चुन सकते हैं, भले ही वे उसके राजनीतिक दल को पसंद करते हों या नहीं।

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