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इनमें कौन सा संविधान का कार्य नहीं है ?
यह नागरिकों के अधिकार की गारंटी देता है।
यह शासन की विभिन्न शाखाओं की शक्तियों के अलग-अलग क्षेत्र का रेखांकन करता है।
यह सुनिश्चित करता है कि सत्ता में अच्छे लोग आयें।
यह कुछ साझे मूल्यों की अभिव्यक्ति करता है।
C.
यह सुनिश्चित करता है कि सत्ता में अच्छे लोग आयें।
निम्नलिखित में कौन-सा कथन इस बात की एक बेहतर दलील है कि संविधान की प्रमाणिकता संसद में ज़्यादा है ?
संसद के अस्तित्त्व में आने से कहीं पहले संविधान बनाया जा चुका था।
संविधान के निर्माता संसद के सदस्यों से कहीं ज्यादा बड़े नेता थे।
संविधान ही यह बताता है कि संसद कैसे बनायी जाय और इसे कौन-कौन-सी शक्तियाँ प्राप्त होंगी।
संसद, संविधान का संशोधन नहीं कर सकती।
C.
संविधान ही यह बताता है कि संसद कैसे बनायी जाय और इसे कौन-कौन-सी शक्तियाँ प्राप्त होंगी।
बतायें कि संविधान के बारे में निम्नलिखित कथन सही हैं या गलत ?
A.
सरकार के गठन और उसकी शक्तियों के बारे में संविधान एक लिखित दस्तावेज है।
B.
संविधान सिर्फ लोकतांत्रिक देशों में होता है और उसकी जरूरत ऐसे ही देशों में होती है।
C.
संविधान एक कानूनी दस्तावेज है और आदर्शो तथा मूल्यों से इसका कोई सरोकार नहीं।
D.
संविधान एक नागरिक को नई पहचान देता है।
भारतीय संविधान के बारे में निम्नलिखित प्रत्येक निष्कर्ष की पुष्टि में दो उदाहरण दें:
संविधान का निर्माण विश्वसनीय नेताओं द्वारा हुआ। उनके लिए जनता के मन में आदर था।
इस बारे में दो निम्न नामों के उदहारण दिए जा सकते हैं:
भारतीय संविधान के बारे में निम्नलिखित प्रत्येक निष्कर्ष की पुष्टि में दो उदाहरण दें:
संविधान ने शक्तियों का बँटवारा इस तरह किया कि इसमें उलट-फेर मुश्किल है।
दो उदाहरण:
अवशेष शक्तियाँ केंद्र के पास हैं।
भारतीय संविधान के बारे में निम्नलिखित प्रत्येक निष्कर्ष की पुष्टि में दो उदाहरण दें:
किसी देश के लिए संविधान में शक्तियों और जिम्मेदारियों का साफ़-साफ़ निर्धारण क्यों जरूरी है? इस तरह का निर्धारण न हो तो क्या होगा ?
शक्ति विभाजन भारतीय संविधान का सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्षण है, राज्य की शक्तियां केंद्रीय तथा राज्य सरकारों मे विभाजित होती है। दोनों सत्ताएँ एक-दूसरे के अधीन नही होती है, वे संविधान से उत्पन्न तथा नियंत्रित होती है। दोनों की सत्ता अपने अपने क्षेत्रो मे पूर्ण होती है। देश के शासन को सुचारु रूप से चलाने के लिए शक्तियों और जिम्मेदारियों का निर्धारण किया जाना आवश्यक हो जाता हैं। यदि इस तरह का स्पष्ट निर्धारण न किया जाए तो अनिश्चितता बढ़ जाएगी जिसके परिणामस्वरूप केंद्र एवं राज्यों में मतभेद एवं गतिरोध की संभावना बनी रहेगी।
शासकों की सीमा का निर्धारण करना संविधान के लिए क्यों जरूरी है ? क्या कोई ऐसा भी संविधान हो सकता है जो नागरिकों को कोई अधिकार न दे।
शासकों की सीमा का निर्धारण:
एक राजशाही संविधान में, एक राजा का फैसला होता है लेकिन लोकतांत्रिक संविधानों में, लोग निर्णय लेते हैं। आज के समय में ऐसा कोई संविधान नहीं हो सकता, जो अपने नागरिकों को कोई अधिकार न दे।
जब जापान का संविधान बना तब दूसरे विश्वयुद्ध में पराजित होने के बाद जापान अमेरिकी सेना के कब्जे में था। जापान के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान होना असंभव था, जो अमेरिकी सेना को पसंद न हो। क्या आपको लगता है कि संविधान को इस तरह बनाने में कोई कठिनाई है ? भारत में संविधान बनाने का अनुभव किस तरह इससे अलग है ?
रजत ने अपने शिक्षक से पूछा -'संविधान एक पचास साल पुराना दस्तावेज है और इस कारण पुराना पड़ चुका है। किसी ने इसको लागू करते समय मुझसे राय नहीं माँगी। यह इतनी कठिन भाषा में लिखा हुआ है कि मैं इसे समझ नहीं सकता। आप मुझे बतायें कि मैं इस दस्तावेज की बातों का पालन क्यों करूँ ?' अगर आप शिक्षक होते तो रजत को क्या उत्तर देते ?
संविधान के क्रिया-कलाप से जुड़े अनुभवों को लेकर एक चर्चा में तीन वक्ताओं ने तीन अलग अलग पक्ष लिए:
(क) हरबंस - भारतीय संविधान एक लोकतांत्रिक ढाँचा प्रदान करने में सफल रहा है।
(ख) नेहा- संविधान में स्वतंत्रता, समता और भाईचारा सुनिश्चित करने का विधिवत वादा है। चूँकि ऐसा नहीं हुआ इसलिए संविधान असफल है।
(ग) नाजिमा - संविधान असफल नहीं हुआ, हमने उसे असफल बनाया। क्या आप इनमें से किसी पक्ष से सहमत हैं, यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो आप अपना पक्ष बताएँ।
(क): हम हरवंश के कथन से सहमत है, क्योंकि संविधान ने चुनावी लोकतंत्र के माध्यम से कानून के शासन से भारत में लोकतान्त्रिक ढांचा बनाने में सफलता प्राप्त की हैं।
(ख): हम नेहा से असहमत हैं क्योंकि संविधान में समानता, स्वतंत्रता व भाईचारा बढ़ाने का वायदा भी किया है व इसे काफी हद तक प्राप्त भी किया है।
(ग) हम नाज़िमा से भी सहमत हैं, कि अगर संविधान कहीं पर असफल हुआ है तो वह हमारे कारण असफल हुआ है। संविधान में संविधान के बनाने वालों ने ऐसी संस्थाएं व व्यवस्थाएं दी है जिनमें हमारे समाज की सभी समस्याओं का हल है।
बतायें कि भारतीय संविधान के निर्माण के बारे में निम्नलिखित अनुमान सही हैं या नहीं ? अपने उत्तर का कारण बतायें।
संविधान सभा में भारतीय जनता की नुमाइंदगी नहीं हुई। इसका निर्वाचन सभी नागरिकों द्वारा नहीं हुआ था।
यह अनुमान सही नहीं है क्योंकि भले ही संविधान सभा का निर्वाचन सभी नागरिकों द्वारा नहीं हुआ था, परंतु फिर भी संविधान सभा भारतीय जनता की नुमाइंदगी करते थे। संविधान सभा में भारतीय जनता के सभी वर्गों, क्षेत्रों एवं धर्मों के प्रतिनिधि सम्मिलित थे। यदि वयस्क मताधिकार के आधार पर संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव होता तो लगभग वही सदस्य चुने जाते जो संविधान सभा के सदस्य थे।
बतायें कि भारतीय संविधान के निर्माण के बारे में निम्नलिखित अनुमान सही हैं या नहीं ? अपने उत्तर का कारण बतायें।
संविधान बनाने की प्रक्रिया में कोई बड़ा फैसला नहीं लिया गया क्योंकि उस समय नेताओं के बीच संविधान की बुनियादी रूप रेखा के बारे में आम सहमति थी।
यह अनुमान सही नहीं है क्योंकि संविधान सभा में अनेक बड़े फैसले लिए गए व संविधान सभा के सदस्यों में बुनियादी रूप-रेखा के संबंध में आम सहमति भी नहीं थी। विचार-विमर्श व वाद-विवाद के आधार पर उत्पन्न आम सहमति के आधार पर अनेक ऐसे महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णय लिए गए जिन पर सदस्यों में मतभेद था।
बतायें कि भारतीय संविधान के निर्माण के बारे में निम्नलिखित अनुमान सही हैं या नहीं ? अपने उत्तर का कारण बतायें।
संविधान में कोई मौलिकता नहीं है क्योंकि इसका अधिकांश हिस्सा दूसरे देशों से लिया गया है।
यह कथन सही है कि संविधान का अधिकांश भाग विभिन्न देशों से लिया गया है परंतु यह कहना कि इस संविधान में मौलिकता नहीं है गलत होगा क्योंकि भारतीय संविधान के अनेक देसी स्त्रोत हैं: जैसे भारत सरकार अधिनियम 1935 व नेहरू रिपोर्ट 1928 तथा विकास-वादी स्त्रोत।
इसके अलावा यह भी सत्य की विदेशों से ली जाने वाली संस्थाओं की हमने कार्बन कॉपी के रूप में नकल नहीं की बल्कि उनको अपनी परिस्थितियों व आवश्यकताओं के अनुसार परिवर्तन करके उन्हें अपनाया है।
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