रजत ने अपने शिक्षक से पूछा -'संविधान एक पचास साल पुराना दस्तावेज है और इस कारण पुराना पड़ चुका है। किसी ने इसको लागू करते समय मुझसे राय नहीं माँगी। यह इतनी कठिन भाषा में लिखा हुआ है कि मैं इसे समझ नहीं सकता। आप मुझे बतायें कि मैं इस दस्तावेज की बातों का पालन क्यों करूँ ?' अगर आप शिक्षक होते तो रजत को क्या उत्तर देते ?
- एक अध्यापक के रूप में रजत को इस प्रकार से समझाया जा सकता है कि संविधान लगभग 58 वर्ष पुराना अवश्य हो गया है परंतु यह पुराना नहीं पड़ा क्योंकि इसकी मूल बातें आज भी प्रासंगिक एवं प्रायोगिक है। इसके अलावा हम परिस्थितियों की आवश्यकता के अनुसार इसमें संसोधन भी कर सकते हैं।
- संविधान की भाषा कठिन अवश्य है परंतु इतनी भी कठिन नहीं कि इसका मूल भाव व उद्देश्य आम आदमी तक न पहुँचाया जा सके। अत: एक नागरिक के रूप में संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उपयोग भी करना चाहिए।
- यदि संविधान की भाषा कठिन एवं कानून के अनुसार ना हो, तो कोई भी शासक या व्यक्ति इसका गलत अर्थ में प्रयोग कर सकता है और कठिन भाषा के होते हुए भी है यह लोगों के अधिकारों की रक्षा का पूरा वचन देता है। अत: तुम्हें (रजत) इसका पालन करना चाहिए।



