आर्थिक विकास की समझ Chapter 3 मुद्रा और साख
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    NCERT Solution For Class 10 सामाजिक विज्ञान आर्थिक विकास की समझ

    मुद्रा और साख Here is the CBSE सामाजिक विज्ञान Chapter 3 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 सामाजिक विज्ञान मुद्रा और साख Chapter 3 NCERT Solutions for Class 10 सामाजिक विज्ञान मुद्रा और साख Chapter 3 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 सामाजिक विज्ञान.

    Question 1
    CBSEHHISSH10018389

    जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिये और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    यह बिल्कुल सही हैं की उच्च जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए समस्याएँ हल करने की बजाए और समस्याएँ खड़ी कर सकता हैं।

    (i) उधारकर्ता को मूलधन के साथ-साथ उधारदाताओं को ब्याज पर भी ब्याज का भुगतान करना था।

    (ii) उधारकर्ता अदालती ऋण लेने वाले के खिलाफ अपने मूलधन और ब्याज को पुनः प्राप्त करने के लिए जा सकते हैं।

    (iii) कभी-कभी, ऋणदाता बैंक या सहकारी सोसायटी या क्रेडिट की कोई अनौपचारिक एजेंसी के साथ गठित संपार्श्विक के रूप में सुरक्षा या परिसंपत्तियों को बेच सकता है।

    Question 2
    CBSEHHISSH10018390

    मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस तरह सुलझाती है? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए।

    Solution

    जिस व्यक्ति के पास मुद्रा है, वह इसका विनिमय किसी भी वस्तु या सेवा खरीदने के लिए आसानी से कर सकता है। आवश्यकताओं का दोहरा सयोंग विनिमय प्रणाली की एक अनिवार्य विशेषता है। जहाँ मुद्रा का उपयोग किये बिना वस्तुओं का विनिमय होता है। इसकी तुलना में ऐसी आर्थव्यवस्था जहाँ मुद्रा का प्रयोग होता है, मुद्रा महत्वपूर्ण मध्यवर्ती भूमिका प्रदान करके आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की ज़रूरत का खत्म कर देती है।  
    उदहारण: जूता निर्माता के लिए ज़रूरी नहीं रह जाता की वो ऐसे किसान को ढूंढे, जो न केवल उसके जूते ख़रीदे बल्कि साथ-साथ उसको गेहूँ भी बेचे। उससे केवल अपने जूते के लिए खरीददार ढूँढ़ना हैं। एक बार उसने जूते, मुद्रा में बदल लिए तो वह बाज़ार में गेहूँ या अन्य कोई वस्तु खरीद सकता है। 

    Question 3
    CBSEHHISSH10018391

    अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच बैंक किस तरह मध्यस्थता करते हैं?

    Solution

    बैंक अपनी जमा राशि का केवल एक छोटा हिस्सा अपने पास नकद के रूप में रखते हैं। बैंक जमा राशि के एक बड़े भाग को ऋण देने के लिए इस्तेमाल करते हैं। विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए ऋण की भारी मांग रहती है। बैंक जमा राशि का लोगों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

    इस तरह , बैंक जिनके पास अतिरिक्त राशि है (जमाकर्ता) एवं जिन्हें राशि की ज़रूरत है (कर्जदार) के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं।

    बैंक जमा पर जो ब्याज देते हैं उससे ज़्यादा ब्याज ऋण पर लेते हैं। कर्जदारों के लिए गए ब्याज और जमाकर्ताओं को दिए गए ब्याज के बीच का अंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्त्रोत है।

    Question 4
    CBSEHHISSH10018392

    10 रुपये के नोट को देखिए। इसके ऊपर क्या लिखा है? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?

    Solution

    10 रुपये के नोट पर निम्न पंक्ति लिखी होती है, “मैं धारक को दस रुपये अदा करने का वचन देता हूँ।“ इस कथन के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर का दस्तखत होता है। यह कथन दर्शाता है कि रिजर्व बैंक ने उस करेंसी नोट पर एक मूल्य तय किया है जो देश के हर व्यक्ति और हर स्थान के लिये एक समान होता है।

    Question 5
    CBSEHHISSH10018393

    भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर किस तरह नजर रखता है? यह जरूरी क्यों है?

    Solution

    भारतीय रिजर्व बैंक ऋण के औपचारिक स्रोतों के कामकाज की निगरानी करता है। उदाहरण के  लिए, हमने देखा की बैंक अपनी जमा का एक न्यूनतम नकद हिस्सा अपने पास रखते हैं।  आर.बी.आई. नज़र रखता हैं कि बैंक वास्तव में नकद शेष बनाए हुए हैं। आर.बी.आई. इस पर भी नज़र रखता हैं कि बैंक केवल लाभ अर्जित करने वाले व्यावसायियों और व्यापारियों को ही ऋण मुहैया नहीं करा रहे, बल्कि छोटे किसानों, छोटे उद्योगों, छोटे कर्ज़दारों इत्यादि को भी ऋण दे रहे हैं । समय समय पर, बैंकों द्वारा आर.बी.आई.को यह जानकारी देनी पड़ती है कि वे कितना और किनको ऋण दे रहे हैं और उसकी ब्याज की दरें क्या है? 
    निम्नलिखित कारणों से भारतीय रिजर्व बैंक का अन्य बैंकों की गतिविधियों पर नज़र रखना आवश्यक है: 
    (i) भारतीय रिजर्व बैंक भारत का केंद्रीय बैंक है। यह भारत के बैंकिंग सेक्टर के लिये नीति निर्धारण का काम करता है।
    (ii) यह लोगों की बैंक में जमा राशि की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।
    (iii) यह पूरे देश में आर्थिक आंकड़ों के संग्रह में मदद करता है।
    (iv) बैंकों की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करके रिजर्व बैंक न केवल बैंकिंग और फिनांस को सही दिशा में ले जाता है बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को भी सुचारु ढंग से चलने में मदद करता है।

    Question 6
    CBSEHHISSH10018416

    विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।

    Solution

    विकास के लिए ऋण की भूमिका:
    (i) ऋण सामान्य रूप से दो स्रोतों से उपलब्ध होता हैं- ये औपचारिक स्रोत या अनौपचारिक स्रोत हो सकते हैं।
    (ii) औपचारिक और अनौपचारिक उधारदाताओं के बीच ऋण की शर्तें काफी हद तक भिन्न होती हैं वर्तमान में, अमीर परिवार है जो औपचारिक स्रोतों से ऋण प्राप्त करते हैं जबकि गरीबों को अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर होना पड़ता है। यह अनिवार्य की की औपचारिक क्षेत्र के कुल ऋणों में वृद्धि हो, ताकि महँगे अनौपचारिक ऋण पर से निर्भता काम हो। साथ ही बैंकों और सहकारी समितियों इत्यादि से गरीबों को मिलने वाले औपचारिक ऋण का हिस्सा बढ़ना चाहिए।   
    (iii) प्रचलित स्थितियों में, यदि गरीब लोगों को सही और उचित शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है, तो लाखों छोटे लोग अपनी लाखों छोटी-छोटी गतिविधियों के ज़रिए विकास का सबसे बड़ा चमत्कार कर सकते है।

    Question 7
    CBSEHHISSH10018417

    मानव को एक छोटा व्यवसाय करने के लिए ऋण की जरूरत है। मानव किस आधार पर यह निश्चित करेगा कि उसे यह ऋण बैंक से लेना चाहिए या साहूकार से? चर्चा कीजिए।

    Solution

    (i) मानव सर्वप्रथम ऋण देने वाले दोनों स्रोतों की ब्याज दर की तुलना करेगा । वह उसी से ऋण लेगा जिसकी प्रतिमाह, प्रति सैकड़ा ब्याज दर कम हैं।  
    (ii) मानव उसी एजेंसी या संस्था से कर्जा लेगा जो कम-से कम कागजी कार्यवाही करे और उधर शर्तों पर ही ऋण देने के लिए तैयार हो। 
    (iii) भुगतान की विधि अर्थात किस्त के आकार, आवृत्ति (मासिक, त्रैमासिक, अर्ध-वार्षिक या वार्षिक) या कुछ अवधि के अंत में पूर्ण पुनर्भुगतान अर्थात् दो साल, तीन वर्ष और इसी तरह। इसके अलावा एकत्रित की गई जानकारी के गहन विश्लेषण के बाद उसकी खुद की पुनर्भुगतान करने की क्षमता।

    Question 8
    CBSEHHISSH10018418

    भारत में 80% किसान छोटे किसान हैं, जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की जरूरत होती है।

    (क)  बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं?

    (ख)  वे दूसरे स्रोत कौन हैं, जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं।

    (ग) उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि किस तरह ऋण की शर्तें छोटे किसानों के प्रतिकूल हो सकती हैं।

    (घ) सुझाव दीजिए कि किस तरह छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है।





    Solution

    (क) बैंको से कर्ज लेने के लिए ऋणाधार और विशेष कागज़ातों की ज़रूरत पड़ती हैं। ऋणाधार की अनुपलब्धता एक प्रमुख कारण हैं, जिससे बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से हिचकिचा ते हैं।
    (ख) छोटे किसान कर्ज़दारों,  व्यापारियों, नियोक्ता, रिश्तेदारों और दोस्तों आदि सहित अनौपचारिक उधारदाताओं से ऋण लेते हैं।

    (ग) फसल की विफलता के कारण छोटे किसानों के लिए ऋण की शर्तें प्रतिकूल हो सकती हैं। इस स्थिति में ऋण किसानों को अपने  जाल में धकेलता है।
    (घ) यह विचार ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों विशेषकर महिलाओं को छोटे - छोटे  स्वयं सहायता समूहों में संगठित करने और उनकी बचत पूँजी को एकत्रित करने पर आधारित है।



    Question 16
    CBSEHHISSH10018676

    हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है?

    Solution

    (i) अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भरता को कम करने के लिए क्योंकि इनमे में उच्च ब्याज दर होती है और कर्ज़दार को ज्यादा लाभ नहीं मिलता है।


    (ii) सस्ता और सामर्थ्य के अनुकूल कर्ज़ देश के विकास के लिए अति आवश्यक है।
    (iii) अनौपचारिक ऋणदाताओं से लिए गए उधार पर आमतौर से ब्याज की दरें बहुत अधिक होती हैं और यह उधार कर्ज़दाताओं की आय बढ़ाने का काम कम ही कर पाता है। इसलिए, बैंकों और सहकारी समितियों को अपनी गतिविधियाँ विशेषकर ग्रामीण इलाकों में बढ़ाने की ज़रूरत है, ताकि कर्ज़दारों की अनौपचारिक स्त्रोत पर से निर्भता घटे।     

    Question 17
    CBSEHHISSH10018677

    गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठनों के पीछे मूल विचार क्या है? अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।

    Solution

    स्वयं सहायता समूहों का गठन वैसे गरीबों के लिये किया जाता है जिनकी पहुँच ऋण के औपचारिक स्रोतों तक नहीं है। कई ऐसे कारण हैं जिनसे ऐसे लोगों को बैंक या सहकारी समिति से ऋण नहीं मिल पाता है। ये लोग इतने गरीब होते हैं कि अपनी साख को सिद्ध नहीं कर पाते। उनके द्वारा लिये गये ऋण की राशि इतनी कम होती है कि ऋण देने में आने वाले खर्चे की वसूली भी नहीं हो पाती है। अशिक्षा और जागरूकता के अभाव से उनकी समस्या और भी बढ़ जाती है। स्वयं सहायता समूह ऐसे लोगों को छोटा ऋण देती है ताकि उनकी आजीविका चलती रहे। इसके अलावा स्वयं सहायता समूह ऐसे लोगों में ऋण अदायगी की आदत भी डालती है।

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    Question 18
    CBSEHHISSH10018678

    क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते?

    Solution

    बैंक निम्नलिखित कर्ज़दारो को निम्नलिखित कारणों से उधार देने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं:

    (i) बैंकों को उचित दस्तावेज और ऋणाधार के रूप में ऋण के खिलाफ सुरक्षा की आवश्यकता है। कुछ व्यक्ति इन आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल होते हैं।

    (ii) वो कर्ज़दार जिन्होंने पिछली ऋण का भुगतान नहीं किया है, हो सकता है कि बैंक उन्हें और अधिक उधार देने के लिए तैयार न हों।

    (iii) बैंक उन उद्यमियों को उधार देने के लिए तैयार नहीं होंगे जो उच्च जोखिम वाले व्यापार में निवेश करने जा रहे हैं।

    Question 19
    CBSEHHISSH10018701

    'बैंक विनियम के सशक्त साधन हैं।' तर्क देकर कथन की पुष्टि कीजिए।

    Solution

    बैंक विनिमय के सशक्त साधन -
    (i) मांग जमा भुगतान का व्यापक रूप से स्वीकृति का साधन है।
    (ii) मांग जमा मुद्रा का महत्त्वपूर्ण लक्षण प्रदान करती है।
    (iii) चेक से भुगतान के लिए भुगतान कर्ता, जिसका किसी बैंक में खाता है, बिना नगदी के उपयोग के भुगतान को सीधे-सीधे संभव बना है।

    Question 20
    CBSEHHISSH10018723

    बैंकों में जमा राशियाँ किस प्रकार बैंकों की आय का स्त्रोत बनती हैं?

    Solution

    बैंकों की आय का स्त्रोत:- बैंक ऋणों पर अधिक ब्याज लेते हैं और जमाकर्ताओं को कम ब्याज देते हैं। कर्जदार से लिए गए ब्याज और जमाकर्ताओं को दिए गए ब्याज का अंतर बैंकों की आय का स्त्रोत बनता है।

    Question 21
    CBSEHHISSH10018734

    मुद्रा, वस्तुओं और सेवाओं के विनियम में किस प्रकार सुविधा प्रदानकर्ता के रूप में कार्य कर सकती है। स्पष्ट करने के लिए उदहारण दीजिए।

    Solution

    वस्तुओं और सेवाओं के विनमय को मुद्रा आसान बनाती है-
    जिस व्यक्ति के पास मुद्रा है वह इसका विनियम किसी भी वस्तु या सेवा खरीदने के लिए आसानी से कर सकता है। हर कोई मुद्रा के रूप में भुगतान लेना पसंद करता है।
    उदहारण के लिए एक जूता निर्माता बाजार में जूता बेचकर गेहूँ खरीदना चाहता है। जूता बनाने वाला पहले जूतों के बदले मुद्रा प्राप्त करेगा और फिर इस मुद्रा का उपयोग गेहूँ खरीदने के लिए करेगा। यदि जूता निर्माता जूते का सीधे गेहूँ से विनमय करता है तो उसे गेहूँ उगाने वाले ऐसे किसान को खोजना पड़ेगा जो न केवल गेहूँ बेचना चाहता है, बल्कि जूता खरीदना चाहता है। दोनों पक्षों को एक दूसरे से चीजें खरीदने और बेचने पर सहमति रखनी पड़ती है। यह प्रक्रिया बड़ी कठिन, समयसाध्य, और अस्वस्थ्यकर कर है।

    Question 22
    CBSEHHISSH10018736

    'अनौपचारिक क्षेत्रक के साख की गतिविधियों को हतोत्साहित करना चाहिए।' तर्कों सहित इस कथन की पुष्टि कीजिए।

    Solution

    औपचारिक क्षेत्रक की साख की गतिविधियों को हतोत्साहित करना -
    (i) शहरी क्षेत्रों के निर्धन परिवारों की कर्जों की 85% आवश्यकताएं अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती है।
    (ii) अनौपचारिक क्षेत्रक के ऋणदाता अपने ऋणों पर बहुत अधिक ब्याज वसूल करते हैं।
    (iii) वे अधिक से अधिक ब्याज लेने का प्रयास करते हैं।
    (iv) उनकी न कोई सीमाएं हैं न कोई बंधन।
    (v) ऋण की ऊँची लागत का अर्थ है ‘कर्जदार’ की आय का अधिकतर हिस्सा ऋण की अदायगी में खर्च हो जाता है।
    (vi) कुछ मामलों में ऋण की ऊँची ब्याज दरों के कारण कर्ज वापस करने की रकम कर्जदार की आय से भी अधिक हो जाती है।
    (vii) इससे ऋण का बोझ बढ़ जाता है और व्यक्ति ऋण के जाल में फंस जाता है। इसलिए अनौपचारिक क्षेत्रक की साख की गतिविधियों को हतोत्साहित करना चाहिए।

    Question 23
    CBSEHHISSH10018744

    ऋण की महत्त्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका का उदाहरणों सहित वर्णन कीजिए।

    Solution

    ऋण की महत्त्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका -
    यदि ऋण समय पर और योजना के साथ दिया जाता है तो वह ऋण सहायक हो सकता है। हमारी रोजमर्रा की गतिविधियों में ऐसे बहुत से लेन-देन होते हैं, जहॉं किसी न किसी रूप में ऋण का प्रयोग होता है। यह देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने में भी सहायक होता है।
    उदहारण:- किसी किसान ने किसी से ऋण लिया कि फसल आते ही दे दूँगा और वो आसानी से दे भी देगा। क्योकि उसके पास फसल है।

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