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मुद्रा और साख

Question
CBSEHHISSH10018418

भारत में 80% किसान छोटे किसान हैं, जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की जरूरत होती है।

(क)  बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं?

(ख)  वे दूसरे स्रोत कौन हैं, जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं।

(ग) उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि किस तरह ऋण की शर्तें छोटे किसानों के प्रतिकूल हो सकती हैं।

(घ) सुझाव दीजिए कि किस तरह छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है।





Solution

(क) बैंको से कर्ज लेने के लिए ऋणाधार और विशेष कागज़ातों की ज़रूरत पड़ती हैं। ऋणाधार की अनुपलब्धता एक प्रमुख कारण हैं, जिससे बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से हिचकिचा ते हैं।
(ख) छोटे किसान कर्ज़दारों,  व्यापारियों, नियोक्ता, रिश्तेदारों और दोस्तों आदि सहित अनौपचारिक उधारदाताओं से ऋण लेते हैं।

(ग) फसल की विफलता के कारण छोटे किसानों के लिए ऋण की शर्तें प्रतिकूल हो सकती हैं। इस स्थिति में ऋण किसानों को अपने  जाल में धकेलता है।
(घ) यह विचार ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों विशेषकर महिलाओं को छोटे - छोटे  स्वयं सहायता समूहों में संगठित करने और उनकी बचत पूँजी को एकत्रित करने पर आधारित है।



Some More Questions From मुद्रा और साख Chapter

.................. परिवारों की ऋण की अधिकांश जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं।

.............  ऋण की लागत ऋण का बोझ बढ़ाती है।

............... केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है। 

बैंक .................पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं।

.................. सम्पत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है जिसे वह ऋण लेने के लिए गारंटी के रूप में इस्तेमाल करता है, जब ऋण चुकता नहीं हो जाता।

स्वयं सहायता समूह में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्णय लिये जाते हैं

ऋण के औपचारिक स्रोतों में शामिल नहीं है

हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है?

गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठनों के पीछे मूल विचार क्या है? अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।

क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते?