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मुद्रा और साख

Question
CBSEHHISSH10018676

हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है?

Solution

(i) अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भरता को कम करने के लिए क्योंकि इनमे में उच्च ब्याज दर होती है और कर्ज़दार को ज्यादा लाभ नहीं मिलता है।


(ii) सस्ता और सामर्थ्य के अनुकूल कर्ज़ देश के विकास के लिए अति आवश्यक है।
(iii) अनौपचारिक ऋणदाताओं से लिए गए उधार पर आमतौर से ब्याज की दरें बहुत अधिक होती हैं और यह उधार कर्ज़दाताओं की आय बढ़ाने का काम कम ही कर पाता है। इसलिए, बैंकों और सहकारी समितियों को अपनी गतिविधियाँ विशेषकर ग्रामीण इलाकों में बढ़ाने की ज़रूरत है, ताकि कर्ज़दारों की अनौपचारिक स्त्रोत पर से निर्भता घटे।     

Some More Questions From मुद्रा और साख Chapter

मानव को एक छोटा व्यवसाय करने के लिए ऋण की जरूरत है। मानव किस आधार पर यह निश्चित करेगा कि उसे यह ऋण बैंक से लेना चाहिए या साहूकार से? चर्चा कीजिए।

भारत में 80% किसान छोटे किसान हैं, जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की जरूरत होती है।

(क)  बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं?

(ख)  वे दूसरे स्रोत कौन हैं, जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं।

(ग) उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि किस तरह ऋण की शर्तें छोटे किसानों के प्रतिकूल हो सकती हैं।

(घ) सुझाव दीजिए कि किस तरह छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है।





.................. परिवारों की ऋण की अधिकांश जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं।

.............  ऋण की लागत ऋण का बोझ बढ़ाती है।

............... केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है। 

बैंक .................पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं।

.................. सम्पत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है जिसे वह ऋण लेने के लिए गारंटी के रूप में इस्तेमाल करता है, जब ऋण चुकता नहीं हो जाता।

स्वयं सहायता समूह में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्णय लिये जाते हैं

ऋण के औपचारिक स्रोतों में शामिल नहीं है

हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है?