Vitan Bhag I Chapter 3 आलो - आँधारि
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    NCERT Solution For Class 11 Hindi Vitan Bhag I

    आलो - आँधारि Here is the CBSE Hindi Chapter 3 for Class 11 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 11 Hindi आलो - आँधारि Chapter 3 NCERT Solutions for Class 11 Hindi आलो - आँधारि Chapter 3 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 11 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN11012398

    पाठ के किन अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है? क्या वर्तमान समय में स्त्रियों की सामाजिक स्थिति में कोई परिवर्तन आया है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

    Solution

    पाठ के निम्नलिखित अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है-

    1. जब वह (लेखिका) काम ढूँढ़ने जाती है तब लोग उससे तरह-तरह के प्रश्न पूछते हैं:

    “घर में अकेले रहते देख आस-पास के सभी लोग पूछते, तुम यहाँ अकेली रहती हो? तुम्हारा स्वामी कहाँ रहता है? तुम कितने दिनों से यहाँ हो? तुम्हारा स्वामी वहाँ क्या करता है? तुम क्या यहाँ अकेली रह सकोगी? तुम्हारा स्वामी क्यों नहीं आता? ऐसी बातें सुन मेरी किसी के पास खड़े होने की इच्छा नहीं होती, किसी से बात करने की इच्छा नहीं होती। बच्चों को साथ ले मैं उसी समय काम खोजने निकल पड़ती।”

    2. काम से देर से लौटने पर भी प्रश्न उठते थे-

    उसके यहाँ से लौटने में कभी देर हो जाती तो सभी मुझे ऐसे देखते जैसे मैं कोई अपराध कर आ रही हूँ। बाजार-हाट करने भी जाना होता तो वह बूढ़ी, मकान-मालिक की स्त्री, कहती, कहाँ जाती है रोज़-रोज़? तेरा स्वामी है नहीं, तू तो अकेली ही है! तुझे इतना घूमने-घामने की क्या दरकार?

    मैं सोचती, मेरा स्वामी मेरे साथ नहीं है तो क्या मैं कहीं घूम-फिर भी नहीं सकती! और फिर उसका साथ में रहना भी तो न रहने जैसा है! उसके साथ रह कर भी क्या मुझे शांति मिली! उसके होते हुए भी पाड़े के लोगों की क्या-क्या बातें मैंने नहीं सुनी! जब उसी ने उन बातों को लेकर उनसे कभी कुछ नहीं कहा तो मैं आँख-मूँद कर किए चुप न रह जाती तो क्या करती!

     

    3. उसके स्वामी के न होने पर दूसरे लोग उससे छेड़खानी करते थे।

    आस-पास के लोग एक-दूसरे को बताते कि इस लड़की का स्वामी यहाँ नहीं रहता है, यह अकेली ही भाड़े के घर में बच्चों के साथ रहती है। दूसरे लोग यह सुनकर मुझसे छेड़खानी करना चाहते। वे मुझसे बातें करने की चेष्टा करते और पानी पीने के बहाने मेरे घर आ जाते। मैं अपने लड़के से उन्हें पानी पिलाने को कह कोई बहाना बना बाहर निकल आती। इसी तरह मैं जब बच्चों के साथ कहीं जा रही होती तो लोग जबरदस्ती न जाने कितनी तरह की बातें करते।


    Question 2
    CBSEENHN11012399

    अपने परिवार से लेकर तातुश के घर तक के सफर में बेबी के सामने रिश्तों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है?

    Solution

    अपने परिवार से लेकर तातुश के घर तक के सफर में बेबी के सामने रिश्तों की यह सच्चाई सामने आई कि मुसीबत की घड़ी में कोई किसी का साथ नहीं देता। यदि विवाहिता लड़की किसी कारण से पति का घर छोड्कर पिता के घर आ जाए तो उसे वहाँ भी सम्मान नहीं मिलता। लोग तरह-तरह की बातें करते हैं। सभी रिश्ते स्वार्थ पर टिके हैं। पर इसी समाज में तातुश जैसे व्यक्ति भी हैं जो परोपकारी स्वभाव के हैं। वे बेबी को अपनी बेटी मानकर उसके सभी तरह के दुख-दर्दो को दूर करते हैं तथा उसे लेखिका के रूप में प्रतिष्ठित करने का हरसंभव प्रयास करते हैं।

    Question 3
    CBSEENHN11012400

    इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। घरेलू नौकरों को और किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? इस पर विचार कीजिए।

    Solution

    इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की निम्नलिखित जटिलताओं का पता चलता है-

    1. इन लोगों को जीवन में कभी आर्थिक सुरक्षा नहीं मिल पाती है। जब चाहे, इन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है।

    2. इन लोगों को रहने के लिए गंदे और सस्ते मकान मिलते हैं क्योंकि ये किराए के नाम पर बहुत कम दे पाते हैं।

    3. इन लोगों का शारीरिक शोषण भी किया जाता है। बेबी को भी ऐसी स्थिति से गुजरना पड़ता है।

    4. बेबी की तरह इन्हें सुबह से देर रात तक काम में खटना पड़ता है।

    अन्य समस्याएँ

    1. इनके बच्चे प्राय: अनपढ़ और असभ्य ही रह जाते हैं। अधिकतर आवारा बन जाते हैं।

    2. ये लोग प्राय: अस्वस्थ रहते हैं। इनकी ठीक प्रकार से चिकित्सा नहीं हो पाती।

    3. ये सदा आर्थिक संकट में फँसे रहते हैं।

    Question 4
    CBSEENHN11012401

    ‘आलो-आँधारि’ रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दों को समेटे है।’ किन्हीं दो मुख्य समस्याओं पर अपने विचार प्रकट कीजिए।

    Solution

    इस रचना में बेबी की व्यक्तिगत समस्याएँ भी उठी हैं। उसके बच्चों का भविष्य, स्वयं के खाने-पीने और रहने की समस्या, एकाकीपन का अहसास आदि। इसके साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दे भी समेटे गए हैं।

    निराश्रित महिला के साथ समाज कैसा व्यवहार करता है? उसे समाज में सम्मान क्यों नहीं मिलता? समाज का आम आदमी गरीब स्त्रियों के प्रति कैसा भाव रखता है? ये सब सामाजिक मुद्दे हैं जो इस रचना में उठाए गए हैं।

    दो मुख्य समस्याएं-

    1 . पहली समस्या गरीब-असहाय स्त्री के सामने अपना पेट भरने तथा अपने बच्चों के पालन-पोषण की समस्या आती है। कोई भी उसकी मदद करने को तैयार नहीं होता।

    2. दूसरी समस्या है-एक अपरिचित व्यक्ति के घर में रहकर अपने चरित्र की पवित्रता को बनाए रखना। बेबी इसमें कामयाब रहती है। सौभाग्य से उसे तातुश जैसा नेक आदमी मिला, पर सभी तातुश जैसे चरित्रवान नहीं होते।

    Question 5
    CBSEENHN11012402

    ‘तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो’ -जेठू का यह कथन रचना-संचार के किस सत्य को उद्घाटित करता है?

    Solution

    जेठू का यह कथन रचना-संसार के इस सत्य को उद्घाटित करता है कि किसी का प्रोत्साहन किसी के अंदर छिपे रचनात्मक गुण को उभारकर सामने ला सकता है। बेबी के लिए जेठू द्वारा कहा गया यह कथन उसके लिए सत्य सिद्ध होकर रहा। वह आगे चलकर वास्तव में दूसरी आशापूर्णा देवी ही बन गई।

    Question 6
    CBSEENHN11012403

    बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन कैसा होता, कल्पना करें और लिखें।

    Solution

    बेबी की जिंदगी में तातुश के परिवार ने आकर उसकी जिंदगी ही बदलकर रख दी। यदि यह परिवार उसकी जिंदगी में न आता तो बेबी भी अन्य घरेलू नौकरों की तरह नारकीय जीवन बिता रही होती। तब न उसके बच्चे पड़ रहे होते और न उन्हें सही खाना ही मिल रहा होता। शायद वे आवारा बन गए होते। बेबी को भी शारीरिक तथा मानसिक शोषण का शिकार होना पड़ सकता था। उसे गंदी बस्ती में रहने को विवश होना पड़ता।

    Question 7
    CBSEENHN11012404

    बेबी जब सुनील के बताए पते पर काम ढुँढ्ने गई तब उसने वहाँ क्या देखा?

    Solution

    अगले दिन बेबी काम पर आई तो दूर से ही पैंतीस-चालीस वर्ष की एक विधवा को उसी घर में काम के लिए जाते देखा। साहब बाहर पेड़ों में पानी दे रहे थे। बेबी को देखते ही वह भीतर गए और उस औरत से साफ-साफ बातें कर उसी समय उसे काम से हटा दिया। वह औरत भी बंगाली थी। बाहर आते ही उसने बेबी को गालियाँ देना शुरू कर दिया। बेबी ने कहा, देखो, मैं कुछ नहीं जानती। यदि जानती होती कि यहाँ पहले से ही कोई काम कर रहा है तो यहाँ नहीं आती। उससे कहने से कोई लाभ नहीं। तुम साहब को मेरी तरफ से जाकर बता दो कि वह इस तरह काम करने को राजी नहीं है। उसने ऐसा कुछ नहीं किया और उसे बकते-बकते चली गई। साहब आकर बेबी को भीतर ले गये और सब समझा-बुझा दिया कि क्या करना होगा, क्या नहीं करना होगा। बस उस दिन से वह अपने मन से खाना-वाना बनाकर, टेबिल पर रखकर घर जाने लगी। उसका काम देखकर घर में सभी आश्चर्य करते। एक दिन साहब ने पूछा, तुम इतना ढेर सारा काम इतने कम समय में और इतनी अच्छी तरह कैसे कर लेती हो? कहाँ सीखा तुमने यह सब? बेबी ने कहा, घर के काम में मुझे असुविधा नहीं होती क्योंकि बचपन से अभ्यास है। बचपन से ही बिना माँ के रही हूँ। उसके बाबा भी सब समय घर पर नहीं होते थे। इसी कारण उसका पढ़ना-लिखना भी नहीं हो सका।

    Question 8
    CBSEENHN11012405

    बेबी की दिनचर्या कैसे चलने लगी?

    Solution

    बेबी इसी तरह रोज सवेरे आती और दोपहर तक सारा काम खत्म कर चली जाती। बीच-बीच में साहब उसके बारे में इधर-उधर की बातें पूछ लेते। एक दिन उन्होंने उसके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछा तो बेबी ने कहा वह तो पढ़ाना चाहती है लेकिन वैसा सुयोग कहाँ है, फिर भी चेष्टा तो करेगी। तातुश ने एक दिन बुलाकर फिर कहा, “तुम अपने लड़के और लड़की को लेकर आना। यहाँ एक छोटा सा स्कूल है। मैं वहाँ बोल दूँगा। तुम रोज बच्चों को वहाँ छोड़ देना और घर जाते समय अपने साथ ले जाना।” बेबी अब बच्चों को साथ लेकर आने लगी। उन्हें स्कूल में छोड़, घर आकर अपने काम में लग जाती। स्कूल से बच्चे जब उसके पास आते तो साहब कुछ न कुछ उन्हें खाने को देते। अब वह सोचने लगी कि मुझे कहीं और भी काम करना चाहिए क्योंकि इतने पैसों में क्या बच्चों को पालेगी-पोसेगी और क्या घर का किराया देगी? उसने साहब से कहा कि यदि उन्हें पता चले कि किसी को काम करने वाले की जरूरत है तो उसे बताएँ। उन्होंने कहा कि आस-पास पता कर वह उसे बताएँगे लेकिन उसे अब कहीं काम ढुँढ़ने नहीं जाना है। फिर भी उसे अपना यह घर तो छोड़ना ही होगा यह सोचकर वह अपने दादा लोगों के आस-पास ही घर ढुँढ़ने जाने लगी।

    Question 9
    CBSEENHN11012406

    एक दिन हठात् तातुश ने बेबी के बारे में क्या पूछा?

    Solution

    कुछ दिनों बाद एक दिन हठात् तातुश ने पूछा, “अच्छा बेबी यह तो बताओ कि यहाँ से जाकर तुम क्या करती हो?” मैंने कहा “मैं जाते ही खाना बनाने में लग जाती हूँ और साथ ही साथ बच्चों को नहलाती- धुलाती हूँ। फिर उन्हें खिला-पिलाकर सुला देती हूँ। तीसरे पहर उनके साथ थोड़ा घूमती-थामती हूँ और शाम को संध्या-पूजाकर उन्हें पढ़ने बिठा देती हूँ। रात में फिर उन्हें खिलाना-पिलाना और सुलाना और सवेरे जल्दी से जल्दी यहाँ के लिए निकल पड़ना। बस यही है मेरे सारे दिन का काम।” फिर वह बोले, “अच्छा, फिर जो तुम, और काम ढुँढ़ रही हो तो उसके लिए तुम्हें समय कहाँ से मिलेगा?” बेबी बोली, “इसी में से निकालना होगा, और नहीं तो क्या! बिना किए और कोई चारा भी तो नहीं!” इस पर उन्होंने कहा, “देखो, यदि मैं तुम्हारी कुछ मदद कर दूँ तब तो तुम कहीं और काम नहीं करोगी न?” उनकी बात सुन बेबी सोचने लगी ‘वह मेरा कितना खयाल रखते हैं, कितना मुझे चाहते हैं!’ उन्होंने फिर पूछा ‘क्यों क्या हुआ? तुमने कुछ बताया नहीं! क्या, सोच रही हो?’ बेबी ‘बस, कुछ भी तो नहीं,’ कहकर चुप हो गई। उन्होंने कहा, “देखो बेबी, तुम समझो कि मैं तुम्हारा बाप, भाई, माँ, बंधु, सब कुछ हूँ। यह कभी मत सोचना कि यहाँ तुम्हारा कोई नहीं है। तुम अपनी सारी बातें मुझे साफ-साफ बता सकती हो, मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगेगा। मेरे बच्चे मुझे तातुश कहते हैं, तुम भी मुझे वही कहकर बुला सकती हो।” उस दिन से बेबी उन्हें तातुश कहने लगी।

    Question 10
    CBSEENHN11012407

    तातुश ने बेबी से किस बात पर अपनी अप्रसन्नता प्रकट की?

    Solution

    दो-एक दिन बाद. बेबी सवेरे काम कर रही थी तो तातुश ने बुलाकर कहा, “बेबी, तुमने क्या घर बदल लिया है?” बेबी ने हाँ कहा तो वह बोले, “तुमने घर बदला और मुझे बताया तक नहीं!” उसे चुप देख उन्होंने कहा, “यह तुमने ठीक नहीं किया, बेबी!” मैंने सोचा, सचमुच ही मुझसे भूल हुई, एक बार बताना तो चाहिए ही था। मेरे न बताने से उन्हें दुख हुआ, यह तो मालूम पड़ गया लेकिन यह समझ में नहीं आया कि उन्हें पता कैसे चला। स्वयं उन्होंने यह कहकर बात साफ कर दी कि सुनील ने उन्हें बताया था। बेबी अभी सोच ही रही थी कि सुनील को कहाँ से पता चला होगा कि तातुश ने फिर कहा, “सुनील तुमसे मिलने तुम्हारे पुराने घर गया था। वहाँ तुम्हें न देख उसने आस-पास के लोगों से पूछा तो पता चला कि तुम कहीं और चली गई हो।” तातुश ने आगे बताया कि सवेरे वह दूध लेने गए थे तो वहाँ सुनील मिला था। उन्हें देखकर सुनील ने पूछा था, बेबी क्या अब आपके यहाँ काम नहीं करती? तातुश के पूछने पर कि वह ऐसा क्यों सोच रहा है, सुनील ने कहा था, बेबी अब वहाँ नहीं रहती जहाँ पहले रहती थी इसलिए मैंने सोचा कि वह शायद अब आपके पास नहीं है। तातुश मुझसे बोले, सुनील नहीं बताता तो मुझे कुछ पता ही नहीं चलता! मुझे सुनकर बहुत बुरा लगा।

    Question 11
    CBSEENHN11012408

    बाथरूम की समस्या को लेकर बेबी क्यों परेशान रहती थी? उसका समाधान कैसे हुआ?

    Solution

    बेबी को जो घर रहने को किराए पर मिला था वहाँ बाथरूम की असुविधा थी। चार घरों के बीच बाथरूम एक ही था। सवेरे कोई पेशाब के लिए उसमें घुसता तो दूसरा उसमें घुसने के लिए बाहर खड़ा रहता। टट्टी के लिए बाहर जाना पड़ता था लेकिन वहाँ भी चैन से कोई टट्टी नहीं कर सकता था क्योंकि सुअर पीछे से आकर तंग करना शुरू कर देते। लड़के-लड़कियाँ, बड़े-बूढ़े, सभी हाथ में पानी की बोतल ले टट्टी के लिए बाहर जाते। अब वे वहां बोतल सँभाले या सुअर भगाएं! बेबी को यह देख-सुनकर बहुत खराब लगता। लड़कियों को हाथ में बोतल लिए जाते उसने इसके पहले कभी नहीं देखा था। तातुश ने उससे पहले ही पूछा था, तुम जहाँ रहती हो वहाँ कोई बाथरूम-वाथरूम है कि नहीं? ऊपर एक बाथरूम है, तुम चाहो तो वहीं से नहा- धो निपटकर जा सकती हो। उस दिन से वह वहीं वह सब करने के बाद घर जाती। इस प्रकार उसकी बाथरूम की समस्या का समाधान हो गया।

    Question 12
    CBSEENHN11012409

    एक दिन लेखिका (बेबी) किस समस्या में फँस गई? तब उसने क्या सोचा?

    Solution

    एक दिन बेबी घर में बैठी अपने बच्चों से बातें कर रही थी कि तभी मकान-मालिक का बड़ा लड़का आकर दरवाजे पर खड़ा हो गया। बेबी ने उससे बैठने को कहा। बस, वह बैठा तो उठने का नाम ही न ले! उसने बातें चालू कीं तो लगा कि वे कभी खत्म नहीं होंगी। उसकी बातें ऐसी थीं कि जवाब देने में उसे शर्म आ रही थी। वह उससे वहाँ से चले जाने को भी नहीं कह पा रही थी और स्वयं भी बाहर नहीं जा सकती थी क्योंकि वह दरवाजे पर ऐसे बैठा था कि उसकी बगल से निकला नहीं जा सकता था। वह समझ रही थी कि वह क्या कहना चाह रहा है। ऐसे में उसकी बातों को वह अनसुना न करती तो क्या करती! उसने सोचा अब उसका भला इसी में है कि वह इस घर को भी जल्दी से जल्दी छोड़ दे। उसकी बातों से यह साफ हो गया कि यदि वह उसके कहने पर चलेगी तब तो उस घर में रह सकेगी, नहीं तो नहीं। उसने सोचा यह क्या इतना सहज है। घर में कोई मर्द नहीं है तो क्या इसी से मुझे हर किसी की कोई भी बात माननी होगी! मैं कल ही कहीं और घर ढुँढ़लूँगी।

    Question 13
    CBSEENHN11012410

    तातुश ने बेबी के रहने की समस्या का क्या समाधान निकाला? साया को इससे क्या फायदा हुआ?

    Solution

    तातुश ने अपने घर की छत पर एक कमरा बेबी के लिए खाली कर दिया। उस कमरे में अपना सारा सामान जमा वह खाना बनाने की तैयारी करने लगी। तातुश ने ऊपर आकर देखा तो हँसते हुए बोले, तुम आज खाना न भी बनातीं तो चल जाता। नीचे तो काफी खाना रखा ही है! बेबी ने कहा, तो क्या हुआ। रखा रहे, दादा लोग खाएँगे। तातुश बोले, रात को एक बार नीचे एक गरम-गरम रोटी खिला सकोगी? अभी तक दोनों समय रोटी बनाने वाला कोई नहीं था। तुम जो खाना बना जाती थी उसी को रात में भी खाना पड़ता था। अब तो तुम यहीं आ गई हो तो दोनों समय गरम-गरम खाना खिला सकोगी।

    Question 14
    CBSEENHN11012411

    बेबी जब अपने लड़के से मिलने गई तो उसे वहाँ क्या देखकर दुख हुआ?

    Solution

    कुछ दिन बाद बेबी अपने लड़के से एक दिन मिलने गई तो देखा वह बाहर पौधों में पानी दे रहा है। उसे नहीं लगा कि वह वहाँ ठीक से है। बेबी ने सोचा, इन लोगों की यह आयु क्या काम करने की है! लेकिन वह कर भी क्या सकती थी! उसके लड़के ने जल्दी-जल्दी पास आकर उसे प्रणाम किया। अपने भाई-बहन को देखकर वह बहुत खुश हुआ। उसके पास से वह जब चलने लगी तो वह उदास हो गया। बेबी ने तब सोचा, उसे अब उस घर में नहीं रखेगी, जैसे भी हो उसे अपने पास ही रखेगी।

    Question 15
    CBSEENHN11012412

    तातुश की बातें सुनकर बेबी को क्या लगता था?

    Solution

    तातुश की बातें सुन बेबी को बहुत माया होती। वह सोचती इस तरह से तो कभी उसके बाबा-माँ ने भी उसे नहीं समझाया। लगता है पिछले जीवन में वह सचमुच उसके बाबा ही थे, नहीं तो उसके अच्छे-बुरे की इतनी चिंता क्यों करते! थोड़ी देर बाद तातुश ने फिर कहा, “तुम्हें मैंने लिखने-पढ़ने का जो काम दिया है तुम वही करती रहो। तुम जितना समय यहाँ-वहाँ के काम में लगाओगी उतना लिखने-पढ़ने में लगाओ। तुम देखोगी एक दिन वही तुम्हारे काम आएगा। और कुछ करने की क्या जरूरत?”

    Question 16
    CBSEENHN11012413

    पार्क में आने वाली लड़की कैसी थी?

    Solution

    बेबी ने पार्क में एक लड़की को एक बच्ची के साथ देखा। उसे वह पिछले कुछ दिनों से देख रही थी। उसके साथ वहाँ कोई बातचीत नहीं करता था। वह बच्ची को लेकर आती और उसी के साथ खेल-खालकर चली जाती। वह पार्क में आती तो कुछेक लड़के उसे देखकर आपस में हँसी-मजाक करते। वह किसी की ओर देखती तक नहीं। वह देखने में नेपालियों जैसी थी लेकिन उस बच्ची से वह बांग्ला में बातें करती थी जिससे बेबी को लगता कि वह बंगाली हो सकती है। उसकी आयु 20-22 वर्ष की रही होगी। उसका ब्याह नहीं हुआ था।

    Question 17
    CBSEENHN11012414

    बंधु को चिट्टी लिखते समय बेबी किस सोच में पड़ गई?

    Solution

    बेबी सोच में पड़ गई कि कभी किसी को चिट्टी-विट्टी लिखी नहीं। यदि लिखे भी तो बस जैसे-तैसे दूसरों के लिए कुछ प्रेम-पत्र! कुछ समझ में नहीं आता कैसे लिखेगी, क्या लिखेगी। कितना गलत लिखेगी, कितना सही, इसका भी तो कोई ठिकाना नहीं! उसने तातुश से पूछा, उन्हें क्या बोलकर लिखेगी? तातुश बोले, ‘यह तुम्हीं सोचकर देखो।’ बस इतना ध्यान रखना कि वह मुझसे एक वर्ष बड़े हैं। बेबी ने कहा, ‘मैं उन्हें जेठू बोलकर लिखूँगी।’ तातुश बोले, ‘तुम्हारी जैसी मरजी।’ बेबी ने जेठू बोलकर ही अपनी चिट्टी लिखी। चिट्टी लिखने का सिर-पैर वह जानती नहीं थी फिर भी जैसे बन पड़ा लिखा।

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    Question 18
    CBSEENHN11012415

    जब बेबी के बाबा आए तब वह कहाँ थी? उसी दशा का संक्षिप्त वर्णन करो।

    Solution

    एक दिन बेबी के बाबा सवेरे-सवेरे आ पहुँचे। वह उस समय किचन में थी। खिड़की से उसने एक व्यक्ति को साइकिल से उतरते देखा। वह ठीक से पहचान नहीं पाई। उसने घंटी बजाई तो काफी देर बाद वह बाहर निकली। उसे देखकर बाबा ने पूछा, ‘कैसी है, बेटा?’ वह बोली, बाबू ‘आपके शरीर का यह हाल कैसे हो गया?’ बाबा बोले, “कहाँ कुछ भी तो नहीं हुआ! बच्चे कैसे हैं?” उसने कहा, ‘ठीक हैं, सब ठीक हैं, स्कूल गए हैं।’ वह तातुश के पास दौड़ी गई और बताया कि उसके बाबा आए हैं। तातुश बोले, ‘उन्हें घर में बिठाओ। अपने बाबा के लिए कुछ खाना-वाना तैयार करो। बाबा को वह अपने कमरे में ले गई और पूछा, चाय बनाऊँ?” वह बोले, नहीं रहने दो।

    Question 19
    CBSEENHN11012416

    शर्मिला दी बेबी को किस भाषा में चिट्टी लिखती थी? बेबी को उन्हें सुनकर कैसा लगता था?

    Solution

    शर्मिला दी बेबी को हिन्दी में चिट्ठी लिखती थीं। उनकी चिट्ठियाँ सुनकर उसे बहुत अच्छा लगता। उनकी चिट्ठियाँ कुछ और ही तरह की होतीं। वह सोचती कि उनके यहाँ भी तो घर के काम के लिए कोई लड़की रखी गई होगी। क्या उसके साथ भी वह वैसा ही व्यवहार करती होंगी जैसा मेरे साथ! उसे तो वह किसी के घर काम करने वाली लड़की की तरह नहीं देखतीं और चिट्ठियों भी ठीक उसी तरह लिखतीं जैसे अपनी किसी बांधवी को! तातुश उनकी चिट्ठियाँ पढ़कर सुनाते तो अपनी टूटी-फूटी बांग्ला में बेबी उन्हें लिख लेती। कभी जब उसका मन खराब होता तो उनकी यह चिट्ठियाँ उसे अहलादित कर देतीं।

    Question 20
    CBSEENHN11012417

    बेबी अखबार किस प्रकार पढ़ती थी?

    Solution

    बेबी रोज सवेरे अखबार देखती थी। अंग्रेजी न जानने से उसका सिर-पैर कुछ भी समझ नही पाती फिर भी तसवीरें देखकर तातुश से उनके बारे में पूछती। तातुश कहते तसवीरों के नीचे बड़े-बड़े अक्षरों में जो लिखा है, उसे पड़ने की कोशिश करो। वह एक-एक अक्षर बोलती जाती और तातुश हूँ-हूँ करते जाते। जब सारे अक्षर खत्म हो जाते तो तातुश पूरे शब्द का उच्चारण कर देते और उसका मतलब भी बता देते। बार-बार पूछने पर कभी-कभी वह उकता जाते क्योंकि वह अपना प्रिय अखबार ‘द हिन्दू’ ठीक से पढ़ नहीं पाते।

    Question 21
    CBSEENHN11012418

    घर पर आए पैकेट में क्या था? उसे खोलकर बेबी की क्या दशा हुई?

    Solution

    चाय का पानी चढ़ाकर बेबी ने पैकेट खोला। पैकेट में एक पत्रिका थी। वह उसे पलटने लगी तो उसमें एक जगह उसने अपना नाम देखा। आश्चर्य से फिर देखा। सचमुच ही उसमें लिखा था, आलो-आँधारि, बेबी हालदार! खुशी से उसका मन हिलोरें मारने लगा। मन की ऐसी उथल-पुथल में भी जेठू की वह बात याद आ गई कि आशापूर्णा देवी दिन भर के काम निबटाकर उस समय लिखने-पढ़ने बैठती थीं जब सब लोग सो चुके होते थे। उसने सोचा, जेठू ठीक ही कहते हैं कि घर के काम करते हुए भी लिखना-पढ़ना हो सकता है।

    Question 22
    CBSEENHN11012419

    बच्चे किताब में माँ को देखकर क्या करने लगे? बेबी की क्या प्रतिक्रिया थी?

    Solution

    बेबी किताब को लेकर बच्चों के पास गई। लड़की ने एक-एक कर सभी अक्षर पड़े और बोली, बेबी हालदार! माँ, तुम्हारा नाम किताब में! दोनों बच्चे हँसने लगे। उन्हें हँसता देख उसका मन खुशी से और भी भर गया। उसने प्यार से उन्हें अपने पास खींच लिया। उन्हें प्यार करते-करते हठात्, जैसे उसे कुछ याद आ पड़ा। वह बच्चों से, छोड़ो, छोड़ो, छोड़ो, मैं अभी आती हूँ कहकर उठ खड़ी हुई। नीचे आते-आते उसने सोचा वह कितनी बुध्दु है! पत्रिका में अपना नाम देख सभी कुछ भूल गई! जल्दी-जल्दी सीढ़ियाँ उतर वह तातुश के पास आई और उनके पैर छू प्रणाम किया। उन्होंने उसके सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया।

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