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TextBook Solutions for Board of High School and Intermediate Education Uttar Pradesh Class 11 Hindi Aroh Chapter 4 विदाई - संभाषण

Question 1
CBSEENHN11012010

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
बिछड़न-समय बड़ा करुणोत्पादक होता है। आपको बिछड्ते देखकर आज हृदय में बड़ा दु:ख है।. माइ लॉर्ड। आपके दूसरी बार इस देश में आने से भारतवासी किसी प्रकार प्रसन्न न थे। वे यही चाहते थे कि आप फिर न आवे। पर आप आए और उससे यहाँ के लोग बहुत ही दुःखित हुए। वे दिन-रात यही मनाते थे कि जल्द श्रीमान् यहां से पधारें। पर अहो! आज आपके जाने पर हर्ष की जगह विषाद होता है। इसी से जाना कि बिछड़न-समय बड़ा करुणोत्पादक होता है, बड़ा पवित्र, बड़ा निर्मल और बड़ा कोमल होता है। वैर- भाव छूटकर शांत रस का आविर्भाव उस समय होता है।
1. बिछड़न का समय कैसा होता है?
2. भारतवासी क्या चाहते थे?
3. हर्ष की जगह विषाद क्यों होता है?

Solution

1. बिछड़न का समय बड़ा करुणोत्पदक होता है। लॉर्ड कर्जन के इस देश से बिछड़ने के समय लोगों के हृदय में बड़ा दुख है।
2. भारतवासी लॉर्ड कर्जन के इस देश में आने से प्रसन्न न थे। वे तो यही चाहते थे कि वे दुबारा यहाँ न आवे। पर वे यहाँ आए और लोग उससे बहुत दुखी हुए। वे दिन-रात यही मनाते थे कि लॉर्ड कर्जन इस देश से जल्दी-से-जल्दी चले जाएँ।
3. आपको न चाहने पर भी आपके यहाँ से जाने पर भारतवासियों के मन में हर्ष की जगह विषाद हो रहा है। इसी से पता चलता है कि बिछुड़त का समय बड़ा करुणादायक होता है।

Question 2
CBSEENHN11012011

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
आगे भी इस देश में जो प्रधान शासक आए, अंत में उनको जाना पड़ा। इससे आपका जाना भी परंपरा की चाल से कुछ अलग नहीं है, तथापि आपके शासन-काल का नाटक घोर दुखांत है, और अधिक आश्चर्य की बात यह है कि दर्शक तो क्या, स्वयं सूत्रधार भी नहीं जानता था कि उसने जो खेल सुखांत समझकर खेलना आरंभ किया था, वह दुखांत हो जावेगा। जिसके आदि में सुख था, मध्य में सीमा से बाहर सुख था, उसका अंत ऐसे शोर दुख के साथ कैसे हुआ? आह! घमंडी खिलाड़ी समझता है कि दूसरों को अपनी लीला दिखाता हूँ। किन्तु पर्दे के पीछे एक और ही लीलामय की लीला हो रही है, यह उसे खबर नहीं!
1. किस परंपरा का उल्लेख किया गया है?
2. अधिक आश्चर्य की बात क्या है?
3. घमंडी खिलाड़ी क्या समझता है? पर वास्तविकता क्या होती है?

Easy
Question 3
CBSEENHN11012012

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
इस बार बंबई में उतरकर माइ लॉर्ड! आपने जो इरादे जाहिर किए थे, जरा देखिए तो उनमें से कौन-कौन पूरे हुए? आपने कहा था कि यहां से जाते समय भारतवर्ष को ऐसा कर जाऊँगा कि मेरे बाद आने वाले बड़े लाटों को वर्षो तक कुछ करना न पड़ेगा, वे कितने ही वर्षो सुख की नींद सोते रहेंगे। किन्तु बात उलटी हुई। आपको स्वयं इस बार बेचैनी उठानी पड़ी है और इस देश में जैसी अशांति आप फैला चले हैं, उसके मिटाने में आपके पद पर आने वालों को न जाने कब तक नींद और भूख हराम करना पड़ेगा। इस बार आपने अपना बिस्तर गरम राख पर रखा है और भारतवासियों को गरम तवे पर पानी की बूँदों की भभाँतिनचाया है। आप स्वयं भी खुश न हो सके और यहां की प्रजा को सुखी न होने दिया, इसका लोगों के चित्त पर बड़ा ही दु:ख है।
1. लॉर्ड कर्जन ने बंबई उतरते समय क्या इरादा प्रकट किया था?
2. पर लॉर्ड कर्जन कर क्या गए?
3. अतंत: क्या परिणाम निकला?

Easy
Question 4
CBSEENHN11012013

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
इस देश के हाकिम आपकी ताल पर नाचते थे, राजा-महाराजा डोरी हिलाने से सामने हाथ बाँधे हाजिर होते थे। आपके एक इशारे में प्रलय होती थी। कितने ही राजों को मिट्टी के खिलौने की भाँति आपने तोड़-फोड़ डाला। कितने ही मट्टी-काठ के खिलौने आपकी कृपा के जादू से बड़े-बड़े पदाधिकारी बन गए। आपके एक इशारे में इस देश की शिक्षा पायमाल हो गई, स्वाधीनता उड़ गई। बंग देश के सिर पर आरह रखा गया। आह, इतने बड़े माइ लॉर्ड का यह दर्जा हुआ कि फौजी अफसर उनके इच्छित पद पर नियत न हो सका और उनको उसी गुस्से के मारे इस्तीफा दाखिल करना पड़ा, वह भी मंजूर हो गया। उनका रखाय। एक आदमी नौकर न रखा, उल्टा उन्हीं को निकल जाने का हुक्म मिला!
1. लॉर्ड कर्जन की क्या हैसियत थी?
2. लॉर्ड कर्जन ने क्या- क्या बुरे काम किए?
3. लॉर्ड कर्जन का अपमान किस प्रकार हुआ?

Easy
Question 5
CBSEENHn11012014

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
यहां की प्रजा ने आपकी जिद्द का फल यहीं देख लिया। उसने देख लिया कि आपकी जिस जिद्द ने इस देश की प्रजा को पीड़ित किया, आपको भी उसने कम पीड़ा न दी, यहाँ तक कि आप स्वयं उसका शिकार हुए। यहां की प्रजा वह प्रजा है, जो अपने दुख और कष्टों की अपेक्षा परिणाम का अधिक ध्यान रखती है। वह जानती है कि संसार में सब चीजों का अंत है। दुख का समय भी एक दिन निकल जावेगा, इसी से सब दुखों को झेलकर, पराधीनता सहकर भी वह जीती है। माई लॉर्ड! इस कृतज्ञता की भूमि की महिमा आपने कुछ न समझी और न यहां की दीन प्रजा की श्रद्धा- भक्ति अपने साथ ले जा सके, इसका बड़ा दुख है।
1. किसने, किसकी जिद्द का फल देख लिया?
2. भारत की प्रजा की क्या विशेषता बताई गई है?
3. किसे, किस बात का दुख है?

Easy
Question 6
CBSEENHN11012015

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
“अभागे भारत! मैंने तुझसे सब प्रकार का लाभ उठाया और तेरी बदौलत वह शान देखी, जो इस जीवन में असंभव है। तूने मेरा कुछ नहीं बिगाड़ा; पर मैंने तेरे बिगाड़ने में कुछ कमी न की। संसार के सबसे पुराने देश! जब तक मेरे हाथ में शक्ति थी, तेरी भलाई की इच्छा मेरे जी में न थी। अब कुछ शक्ति नहीं है, बो तेरे लिए कुछ कर सकूं। पर आशीर्वाद करता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश का फिर से लाभ करे। मेरे बाद आने वाले तेरे गौरव को समझें।” आप कर सकते हैं और यह देश आपकी पिछली सब बातें मूल सकता है, पर इतनी उदारता माइ लॉर्ड में कहाँ?
1. गद्याशं के प्रारंभिक वाक्यों में क्या व्यंग किया गया है?
2. कौन क्या आशीर्वाद करता है?
3. अंतिम वाक्य से किसके चरित्र पर क्या प्रकाश पड़ता है?

Easy

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