Aroh Chapter 2 मियाँ नसीरुद्दीन
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    NCERT Solution For Class 11 Hindi Aroh

    मियाँ नसीरुद्दीन Here is the CBSE Hindi Chapter 2 for Class 11 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 11 Hindi मियाँ नसीरुद्दीन Chapter 2 NCERT Solutions for Class 11 Hindi मियाँ नसीरुद्दीन Chapter 2 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 11 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN11011963

    साहबो, उस दिन अपन मटियामहल की तरफ से न गुजर बाते तो राजनीति, साहित्य और कला के हजारों-हजार मसीहों के धूम- धड़क्के में नानबाइयों के मसीहा मियां नसीरुद्दीन को कैसे तो पहचानते और कैसे उठाते लुप्त उनके मसीही अंदाज का!

    हुआ यह कि हम एक दुपहरी जामा-मस्जिद के आड़े पड़े मटियामहल के गढ़ैया मुहल्ले की ओर निकल गए । एक निहायत मामूली अंधेरी-सी दुकान पर पटापट आटे का ढेर सनते देख ठिठके । सोचा, सेवइयों की तैयारी होगी, पर पूछने पर मालूम हुआ खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान पर खड़े हैं । मियां मशहूर हैं, छप्पन किस्म की रोटियां बनाने के लिए ।

    Solution
    Question 2
    CBSEENHN11011964

    मियाँ नसीरुद्दीन ने औंखों के कंचे हम पर फेर दिए। फिर तरेरकर बोले- 'क्या मतलब? पूछिए साहब-नानबाई इल्म लेने कहीं और जाएगा? क्या नगीनासाज के पास? क्या आईनासाज के पास? क्या मीनासाज के पास? या रफूगर, रंगरेज या तेली-तंबोली से सीखने जाएगा? क्या फरमा दिया साहब-यह तो हमारा खानदानी पेशा ठहरा । हाँ, इल्म की बात पूछिए तो बो कुछ भी सीखा, अपने वालिद उस्ताद से ही । मतलब यह कि हम घर से न निकले कि कोई पेश। अख्तियार करेंगे । जो बाप-दादा का हुनर था वही उनसे पाया और वालिद मरहूम के उठ जाने पर आ बैठे उन्हीं के ठीये पर!'

    Solution
    Question 3
    CBSEENHN11011965

    मियां कुछ देर सोच में खोए रहे । सोचा पकवान पर रोशनी डालने को है कि नसीरुद्दीन साहब बड़े रुखाई से बोले- 'यह हम न बतावेंगे । बस, आप इत्त समझ लीजिए कि एक कहावत है कि न की खानदानी नानबाई कुएं में भी रोटी पका सकता है । कहावत जब भी गढ़ी गई हो, हमारे बुजुर्गो के करतब पर ही पूरी उतरती है । '

    मजा लेने के लिए टोका- 'कहावत यह सच्ची भी है कि.. .... ।'

    मियाँ ने तरेरा- 'और क्या झूठी है? आप ही बताइए, रोटी पकाने में झूठ का क्या काम! झूठ से रोटी पकेगी? क्या पकती देखी है कभी! रोटी जनाब पकती है आँच से, समझे! '

    Solution
    Question 5
    CBSEENHN11011967

    मियां नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है?

    Solution

    मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा इसलिए कहा गया है क्योंकि वह अपने मसीहाई अंदाज से रोटी पकाने की कला का बखान करता है तथा इसमें वह अपनी खानदानी महारत बताता है । नानबाई रोटी बनाने की कला में माहिर है । अन्य नानबाई रोटियाँ तो पकाते हैं, पर मियाँ नसीरुद्दीन अपने पेशे को कला मानता है । वह अन्य नानबाइयों में स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बताता है, अत: नानबाइयों का मसीहा कहा गया है ।

    Question 6
    CBSEENHN11011968

    लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं?

    Solution

    लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास इसलिए गई ताकि वह उसकी नानबाई कला के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके । जब उसने एक मामूली अँधेरी-सी दुकान पर पटापट आटे का ढेर सनते देखा तो वह अपनी उत्सुकता रोक न सकी । उसे पता चला कि वह खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान पर खड़ी है तो वह उसके बारे में जानने को उत्सुक हो उठी और उसके पास जा पहुँची ।

    Question 7
    CBSEENHN11011969

    बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी?

    Solution

    बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन को दिलचस्पी खत्म इसलिए होने लगी, क्योंकि उन्हें किसी खास बादशाह का नाम मालूम ही न था । वास्तव में उनके किसी बुजुर्ग ने किसी बादशाह के बावर्चीखाने में काम किया ही न था । वे तो सिर्फ अपनी हवा बनाने के लिए डींग हाँक रहे थे । बादशाह का प्रसंग आते ही मियाँ जी बेरुखी दिखाने लगते थे ।

    Question 8
    CBSEENHN11011970

    मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मजमून न छेड़ने का फैसला किया- इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन से उनके बेटे-बेटियों के बारे में पूछना चाहती थी, पर मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे के हाव- भाव देखकर उसे यह सब पूछने की हिम्मत नहीं हुई । वे कुछ उखड़े से दिखाई दे रहे थे ।

    इसे पूछने से पहले का प्रसंग भट्टी सुलगाने का है । मियाँ नसीरुद्दीन बब्बन मियाँ से भट्टी सुलगाने को कहते हैं । लेखिका के पूछने पर बताते हैं कि ये बब्बन मियाँ अपने करीगर हैं । बाद के प्रसंग में मियाँ नसीरुद्दीन अपने कारीगरों को दी जाने वाली मजदूरी के बारे में बताते हैंदो रुपए मन आटे की और चार रुपए मन मैदा की मजदूरी दी जाती है ।

    Question 9
    CBSEENHN11011971

    पाठ में मियां नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखक ने कैसे खींचा है?

    Solution

    पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन यह शब्दचित्र खींचा गया है-मियाँ नसीरुद्दीन सत्तर वर्ष की आयु के हैं । वे चारपाई पर बैठकर बीड़ी पीने का मजा ले रहे हैं । मौसम की मार ने उनके चेहरे को पका दिया है । उनकी आँखों में काँइयाँपन और भोलेपन का मिश्रित प्रभाव झलकता है । उनकी पेशानी पर मँजे हुए कारीगर के तेवर हैं । वे बड़े सधे अंदाज में बातों का जवाब देते हैं । कभी-कभी पंचहजारी अंदाज में सिर हिलाते हैं 1 वे कभी दूसरे आदमी के सामने आँखों के कंचे फेरते हैं, कभी आँखें तरेरते हैं । बीड़ी के कश खींचने में वे माहिर हैं । बातों में वे बड़ी लंबी-लंबी फेंकते हैं ।

    Question 10
    CBSEENHN11011972

    मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं?

    Solution

    मियाँ नसीरुद्दीन की निम्नलिखित बातें हमें अच्छी लगीं?

    1. काम के प्रति लगन । वे बार-बार काम की ओर ध्यान देते हैं ।

    2. स्पष्ट बयानी । वे बात को स्पष्ट रूप से कहते हैं, घुमा-फिराकर नहीं ।

    3. प्रत्येक बात का उत्तर नपे-तुले शब्दों में देते हैं ।

    4. तरह-तरह की रोटियाँ बनाने की कला में महारत हासिल करना ।

    Question 11
    CBSEENHN11011973

    तालीम की तालीम ही बड़ी चीज होती है-यहाँ लेखक ने तालीम शब्द का दो बार प्रयोग क्यों किया है ? क्या आप दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रख सकते हैं? लिखिए ।

    Solution

    लेखिका ने ' तालीम ' शब्द का प्रयोग दो बार किया है । पहली बार 'तालीम' शब्द का अर्थ 'काम की ट्रेनिंग' है । दूसरी बार 'तालीम' का अर्थ शिक्षा से है । दो बार प्रयोग से इसके प्रभाव में वृद्धि हुई है । हम दूसरी बार 'तालीम' की जगह 'शिक्षा' शब्द रख सकते हैं ।

    Question 12
    CBSEENHN11011974

    मियां नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं, जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया । वर्तमान समय में प्राय : लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं । ऐसा क्यों? 

    Solution

    मियाँ नसीरुद्दीन के दादा मियाँ कल्लन तथा वालिद (पिता) मियाँ बरकतशाही यही नानबाई का खानदानी व्यवसाय करतै थे । मियाँ नसीरुद्दीन ने भी अपना खानदानी व्यवसाय अपनाया । वर्तमान पीढ़ी में प्राय: लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे, इसका कारण यह है कि उस व्यवसाय में उनकी रुचि समाप्त हो जाती है । वे परिवर्तन चाहते हैं । उन्हैं दूसरा व्यवसाय ज्यादा आकर्षक एवं लाभप्रद प्रतीत होता है । अपना पैतृक व्यवसाय पुरातनपंथी लगता है ।

    Question 13
    CBSEENHN11011975

    मियां, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो? वह तो खोजियों की खुराफात है-अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें ।

    Solution

    अखबारनीस पत्रकार को कहते हैं। ये लोग खोजी पत्रकारिता करते हैं। वे नई से नई विषय-सामग्री की खोज में रहते हैं। तभी उनकी पत्रकारिता चमकती है। अखबार वही अच्छा माना जाता है जो सबसे पहले खबर दे। पत्रकारों का खोजी होना एक वांछनीय गुण माना जाता है।

    Question 14
    CBSEENHN11011976

    ‣ पाठ में आए रोटियों के अलग- अलग नामों की सूची बनाएं और इनके बारे में जानकारी प्राप्त करें ।

    Solution

    रोटियों के नाम

    - बाकराखानी - रूमाली - शीरमाल - गाव दीदां

    - ताफ़तान - बेसनी - गाज़ेबान

    - खमीरी - तुनकी

    विद्यार्थी इनके बारे में जानकारी प्राप्त करें ।

    Question 15
    CBSEENHN11011977

    तीन-चार वाक्यों में अनुकूल प्रसंग तैयार कर नीचे दिए गए वाक्यों का इस्तेमाल करें ।

    (क) पंचहजारी अंदाज से सिर हिलाया ।

    (ख) आँखों के कंचे हम पर फेर दिए ।

    (ग) आ बैठे उन्हीं के ठीये पर ।

    Solution

    जब मैंने भट्टी पर बैठे कारीगर से प्रश्न किया तो उसने पंच- हजारी अंदाज में पहले तो अपना सिर हिलाया और फिर अपनी आँखों के कंचे हम पर फेर दिए । इसके बाद उनकी जुबान खुली और बोले कि हम तो अपने बाप-दादा के ठीये पर आ बैठे हैं ।

    Question 16
    CBSEENHN11011978

    बिटर-बिटर देखना-यहाँ देखने के एक खास तरीके को प्रकट किया गया है? देखने -संबंधी इस प्रकार के चार क्रिया-विशेषणों के वाक्य बनाइए ।

    Solution

    1. चटर-चटर बोलनावह चटर-चटर बोलती रहती है ।

    2. मटक-मटककर चलना- अभिनेत्री का मटक-मटक कर चलना बड़ा अच्छा लगता है ।

    3. धर-पकड़ करना --पुलिस ने आते ही धर-पकड़ शुरू कर दी ।

    4. हँस-हँसकर बतियाना- आज तो यह स्त्री हँस-हँसकर बतिया रही है ।

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    Question 18
    CBSEENHN11011980

    मियाँ नसीरुद्दीन ने रोटियों की कौन-कौन सी किस्में लेखिका को बताई तथा वर्तमान समय में आए किस परिवर्तन का जिक्र किया?

    Solution

    मियाँ नसीरुद्दीन ने रोटियों की ये किस्में बताई:

    'बाकराखानी-शीरमाल-ताफतान-बेसनी-खमीरी-रूमाली-गाव-दीदा-गाजेबान-तुनकी ।

    फिर तेवर चढ़ा घूरकर कहा- 'तुनकी पापड़ से ज्यादा महीन होती है, महीन । हाँ-किसी दिन खिलाएँगे आपको ।'

    एकाएक मियाँ की आँखों के आगे कुछ कौंध गया । एक लंबी साँस भरी और किसी गुमशुदा याद को ताजा करने को कहा- 'उतर गए वे जमाने और गए वे कद्रदान जो पकाने-खाने की क्रद्र करना जानते थे! मियाँ अब क्या रखा है.. .. .निकाली तंदूर से-निगली और हजम ।'

    Question 19
    CBSEENHN11011981

    लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन से वक्त की बात क्यों की? मियाँ ने क्या उत्तर दिया और अखबारनवीस पर क्या टिप्पणी की?

    Solution

    मियाँ नसीरुद्दीन से लेखिका ने पूछा- 'आपसे कुछ एक सवाल पूछने थे आपको वक्त हो तो.....'

    मियाँ नसीरुद्दीन ने पंचहजारी अंदाज से सिर हिलाया- 'निकाल लेंगे वक्त थोड़ा, पर यह तो कहिए, आपको पूछना क्या है?'

    फिर घूरकर देखा और अखबारनवीस पर टिप्पणी करते हुए कहा- 'मियाँ, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो? यह तो खोजियों की खुराफात है । हम तो अखबार बनाने वाले और अखबार पड़ने वाले-दोनों को ही निठल्ला समझते हैं । हाँ, कामकाजी आदमी को इससे क्या काम है । खैर, आपने यहाँ तक आने की तकलीफ उठाई ही है तो पूछिए-क्या पूछना चाहते हैं! '

    Question 20
    CBSEENHN11012205

    पग घुँघरू बाँधि मीरां नाजी

    मैं तौ मेरे नारायण सूं, आपहि हो गई साची

    लोग कहै, मीरां भइ बावरी, न्यात कहै कुल-नासी

    विस का प्याला राणा भेज्या, पीवत मीरां हाँसी न

    मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सहज मिले अविनासी।

    Solution

    प्रसंग प्रस्तुत पद कृष्णभक्त कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित है।। प्रेम दीवानी मीरा कां लोगों के ताना की कोई परवाह नहीं है।। वह तो अपने प्रिय कृष्ण की दीवानी है। उसी मस्ती में वह उनकी मूर्ति के सम्मुख नाचती रहती है।

    व्याख्या - मीरा अपने पैरों मे घुँघरू बांधकर अपने प्यारे कृष्ण के सामने नाचती हैं। वह तो अपने नारायण (कृष्ण) के लिए हो दै-। इससे वह बिना किसी प्रयास के ही सच्ची हो गई है अर्थात् उसमें पवित्रता का समावेश ही गया है। यह देखकर लोग कहते है कि मीरा तो पागल हो गई हूं और कुटुंब के लोग कहते हैं कि मीरा ने कुल का नाश कर दिया है; गर मुझे इन बातों की कोई परवाह नहीं है। उसे अपने कृष्ण-प्रेम पर अटल विश्वास है। मीरा बताती है कि मुझे मारने के लिए मेरे देवर राणाजी ने पीने के लिए विष का प्याला भिजवाया। मीरा हँसकर उसे पी गई अर्थात् विष के प्याले को पीते हुए हँस पड़ी। मेरे कृष्ण के प्रति प्रेम ने उसे विष के स्थान पर अमृत बना दिया। उसे पीकर मैं अमर हो गई। मीरा को प्रभु के रूप में गिरधर नागर अर्थात् कृष्ण की प्राप्ति हो गई है। वे उसे बिना किसी विशेष प्रयास -के मिल गए हैं। वे अविनाशी भी हैं।

    भाव यह है कि जो भगवान के प्रेम और भक्ति को पा लेता है उसके सभी संकट कट जाते हैं। उसे कोई चिंता नहीं रह जाती। विशेष-
    1. मीरा की आनंदावस्था का वर्णन है।

    2. मीरा लोक निंदा की परवाह नहीं करती। यहाँ उसका निडरस्वरूप उभरता है।

    3. ‘कहै कुल’ में अनुप्रास अलंकार है।

    4. ब्रज एवं राजस्थानी भाषा का मिश्रण प्रयुक्त है।

    Question 21
    CBSEENHN11012206

    मीरा कृष्ण की उपासना किस रूप में करती है? वह रूप कैसा है?

    Solution

    मीरा कृष्ण की उपासना प्रिय (पति) के रूप में करती हैं। यह रूप अत्यंत मनोहारी है। मीरा इस रूप पर बलिहारी जाती हैं। कृष्ण ने इस रूप में सिर पर मोर-मुकुट पहन रखा है। मीरा को कृष्ण का यही रूप प्रिय है। वह कृष्ण को अपना पति मानती हैं।

    Question 22
    CBSEENHN11012207

    भाव व शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

    असुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम-बेलि बोयी

    अब त बेलि फैलि गई, आणंद फल होयी

    Solution

    भाव सौंदर्य - मीरा ने भारी कष्ट सहकर कृष्ण-प्रेम की बेल बाई हैं अर्थात् भारी कष्टों के मध्य मीरा के हृदय में कृष्ण-प्रेम उत्पन्न हुआ है। अब तो इस बैल के फलने-फूलने का समय आया है अर्थात् अब उसे कृष्ण-प्रेम के परिणामस्वरूप आनंद-रूपी फल को प्राप्ति होने वाली है, अत: वह इससे वंचित नहीं होता चाहेगी।

    शिल्प-सौंदर्य- ‘सींचि-सींचि’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार

    - ‘प्रेम -बेलि’ तथा ‘आणंद-फल’ में रूपक अलंकार है

    - ब्रज एवं राजस्थानी भाषा का मिश्रित श्रेत रूप है।

    Question 23
    CBSEENHN11012208

    भाव व शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

    दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से विलोयी

    दधि मथि मृत काढ़ि लियो, डारि दयी छोयी

    Solution

    भाव-सौंदर्य-इन काव्य- पंक्तियों में कवयित्री संसार पे सार तत्त्व को ग्रहण करने और व्यर्थ की बातों का त्याग करने पर बल देती है। ‘मथनी को प्रेम से बिलोना’ प्रयास करने का प्रतीक है। दही को मथकर ही घी मिलता है, इसी प्रकार प्रभु को पाने के लिए प्रयास तो करना ही पड़ता है।

    शिल्प-सौंदर्य -कवयित्री ने दूध की मथानी का रूपक अत्यंत कुशलतापूर्वक बाँधा है। इसे प्रेमपूर्वक बिलोना पड़ता है-- लाक्षणिकता का समावेश हुआ है।

    भाषा ब्रज एवं राजस्थानी का मिश्रण है।

    Question 24
    CBSEENHN11012209

    लोग मीरा को बावरी क्यों कहते हैं?

    Solution

    रनोग मीरा को बावरी इसलिए कहते हैं क्योंकि वह कृष्ण प्रेम में पागल होकर उनकी मूर्ति के सम्मुख नाचती रहती है। वह कृष्ण को अपना पति मानती है। मीरा संतों की संगति में रहती है। इन बातों के कारण लोग मीरा को बावरी कहते हैं।

    Question 25
    CBSEENHN11012210

    विस का प्याला राणा भेज्या, पीवत मीरा हाँसी इसमें क्या व्यंग्य छिपा है?

    Solution

    मीरा के देवर ने उन्हें मारने के लिए विष का प्याला भेजा ताकि उसे पीकर मीरा मर जाए और उनका कुल अपमान से बच जाए।

    मीरा उस विष के प्याले को पीते हुए हँस रही थी अर्थात् कटाष्टा कर रही थी कि तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। मीरा किसी की परवाह नहीं करती, उसे अपने प्रिय पर पुरा भरोसा है।

    Question 26
    CBSEENHN11012211

    मीरा जगत को देखकर रोती क्यों हे?

    Solution

    मीरा जगत को देखकर इसलिए रोती है, क्योंकि संसार के रंग-ढंग ठीक नहीं हैं। जगत के झूठे धंधों में फँसे लोगों को देखकर मीरा को रोना आता है।

    Question 27
    CBSEENHN11012212

    कल्पना करें, प्रेम प्राप्ति के लिए मीरा को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा?

    Solution

    मीरा को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा-

    - लोगों के तरह-तरह के ताने झेलने पड़े होंगे।

    - परिवारजनों की उपेक्षा का शिकार होना पड़ा होगा।

    - भूख -प्यास को झेलना पड़ा होगा।

    - मंदिरों में रहना पड़ा होगा।

    Question 28
    CBSEENHN11012213

    लोक-लाज खोने का अभिप्राय क्या है?

    Solution

    लोक-लाज खोने का यह अभिप्राय है कि समाज की अपनी एक मर्यादा होती है। जब हम इसके विपरीत कार्य करते हैं तो लोक-लाज खोने की बात कही जाती है। मीरा ने भी कुल एवं समाज की इस झूठी मर्यादा की परवाह नहीं की। वह निडर थी।

    Question 29
    CBSEENHN11012214

    मीरा ने ‘सहज मिले अविनासी’ क्यों कहा है?

    Solution

    मीरा ने ‘सहज मिले अविनासी’ इसलिए कहा है क्योंकि प्रभु अविनाशी है अर्थात् वह कभी नष्ट नहीं होता। उसे सहज भक्ति से प्राप्त किया जा सकता है। उसे पाने के लिए किसी विशेष प्रयास की आवश्यकता नहीं है।

    Question 30
    CBSEENHN11012215

    लोग कहै, मीरा भइ बावरी, न्यात कहै कुल-नासी - मीरा के बारे में लोग (समाज) और न्यात (कुटुंब) की अलग-अलग धारणाएँ क्यों है?

    Solution

    लोग (समाज) तो उन्हें बावरी बताते हैं, क्योंकि उन्हें वह कृष्ण-प्रेम में पागल प्रतीत होती हैं। यह मुग्धावस्था का ही एक रूप है। न्यात अर्थात् परिवार जन (कुटुंब) उन्हें कुल का नाश करने वाली मानते हैं। उनके विचार में मीरा ने कुल की मर्यादा को नष्ट कर दिया है। मीरा की वजह से कुल (खानदान) को नीचा देखना पड़ता है।

     

    Question 31
    CBSEENHN11012216

    किस पंक्ति से पता चलता है कि मीरा कृष्ण की अनन्य भक्त थी?

    Solution

    निम्नलिखित पंक्ति से पता चलता है कि मीरा श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थी:

    ‘मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई।’

    Question 32
    CBSEENHN11012217

    मीरा को आनंद फल प्राप्ति के लिए क्या-क्या करना पड़ा?

    Solution

    मीरा को आनंद फल प्राप्ति के लिए कुल की मर्यादा त्यागनी पड़ी, माता-पिता, भाई-बन्धु को छोड़ना पड़ा तथा साधु-संतों के पास बैठना पड़ा। उसने अपने आँसुओं से प्रेम-बेल को सींचा है तब आनंद फल प्राप्त हुआ है।

    Question 35
    CBSEENHN11012220

    मीराबाई ने कृष्ण की भक्ति किस रूप में की है?

    Solution

    मीराबाई ने कृष्ण की भक्ति पति रूप में की है।

    Question 36
    CBSEENHN11012221

    मीराबाई ने ‘कुल की कानि’ क्यों छोड़ दी?

    Solution

    पति की मृत्यु के बाद परिवार के लोगों ने उसे तंग करना शुरू कर दिया। उसकी कृष्ण- भक्ति पर तरह-तरह से रोक लगाते थे, अत: मीरा ने घर-बार का त्याग कर दिया और वह मंदिरों में रहने लगी। उसने परिवार एवं अन्य लोगों की परवाह करनी ही छोड़ दी।

    Question 37
    CBSEENHN11012222

    मीरा के काव्य की भाषा क्या है?

    Solution

    मीरा के काव्य की भाषा राजस्थानी और ब्रज भाषा का मिला-जुला रूप है। इसमें गुजराती और पश्चिमी हिंदी के शब्द भी पाए जाते हैं।

    Question 38
    CBSEENHN11012223

    भाव स्पष्ट कीजिए।

    (क) अब तो बेल फैल गई, आणंद फल होई।

    (ख) भगति देख राजि हुई, जगत देखि रोई।

    Solution

    (क) मीरा ने प्रभु- भक्ति की जो बेल लगाई थी, अब वह फल-फूल गई है। उसमें आनंद-फल भी लग गया है। भाव यह है कि प्रभु भक्ति का फल सदैव सुखद होता है।

    (ख) इस पंक्ति का भाव यह है कि मीरा भक्तों को देखकर तो प्रसन्न होती है और संसार को देखकर रोती है। यह संसार किसी को सुखी नहीं देख सकता। यह सभी की आलोचना करता है, अत: इसकी उपेक्षा करना ही बेहतर है।

    Question 39
    CBSEENHN11012224

    ‘प्रेम बेलि’ के रूपक को स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    बेल को बोना पड़ता है, उसे सींचना पड़ता है, तभी उस पर फल आता है। वह फल मधुर और आनंद देने वाला होता है। इसी प्रकार प्रेम में अनेक कष्ट सहन करने पड़ते हैं। प्रिय के तड़प में आँसू बहाने पड़ते हैं, तब जाकर कहीं साधना पूरी होती है। प्रिय के दर्शन होते हैं। इसके फलस्वरूप सच्चा आनंद प्राप्त होता है। इस प्रकार ‘प्रेम-बेलि’ का रूपक स्पष्ट है।

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    Question 40
    CBSEENHN11012225

    ‘भगत देख राजी भई, जगत देख रोई’-स्पष्ट करो।

    Solution

    मीरा को भक्तों को देखकर खुशी होती है क्योंकि भक्त संसार के मोह-जाल से मुक्त होते हैं। वे भगवान के प्यारे होते हैं। दूसरी ओर मीरा को संसार के लोगों को देखकर गुस्सा और रोना आता है। इसका कारण यह है कि संसार के लोग माया-मोह में फँसकर रोते हैं, फिर भी संसार की माया को नहीं छोड़ते।

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