न्यायपालिका
'इंसाफ में देरी यानि इंसाफ का क़त्ल' इस विषय पर कहानी बनाइएl
श्रीमान शंकर एक सरकारी कर्मचारी थेl उन्होंने अपना पुश्तैनी मकान किराए पर दिया हुआ था और सरकारी मकान में रहते थेl नौकरी ख़तम होने के बाद जब वे दोबारा अपने पुश्तैनी मकान में रहने आये और उन्होंने किरायदार को मकान खाली करने को कहा तो उसने मकान खाली करने से इंकार कर दियाl श्रीमान शंकर को किराय के माकन में रहना पड़ाl उन्होंने कोर्ट में किरायदार के खिलाफ याचिका दायर कीlपांच साल केस चलने के बात जिला अदालत ने मकान मालिक श्रीमान शंकर के पक्ष में फैसला सुनाया और वे मुकदमा जीत गएl किरायदार ने जिला अधिकारी के फैसले से असहमत होकर हाई कोर्ट में अपील दायर कर दीl लगातार तारीखें पड़ने लगीl न्याय होने में और दस साल गुजर गएl श्रीमान शंकर को पन्द्रह साल किराय के मकान में रहना पड़ाl उन्होंने महसूस किया की न्याय में विलम्ब एक प्रकार से न्याय का निषेध ही थाl
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आरोपी इस मामले को उच्चन्यालय लेकर गए क्योंकि वे निचली अदालत के फैसले से सहमत नहीं थेl
वे सर्वोच्चन्यालय के फैसले के खिलाफ उच्चन्यालय में चले गएl
अगर आरोपी सर्वोच्यन्यालय के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो दोबारा निचली अदालत में जा सकते हैl
आपको ऐसा क्यों लगता है कि 1980 के दशक में शुरू की गई जनहित याचिका की व्यवस्था सबको इंसाफ दिलाने के लिहाज से एक महत्वपूर्ण कदम थी?
ओल्गा टेलिस बनाम बम्बई नगर निगम मुक़दमे में दिए गए फ़ैसले के अंशों को दोबारा पढ़िएl इस फ़ैसले में कहा गया है की आजीविका का अधिकार जीवन के अधिकार का हिस्सा हैl अपने शब्दों में लिखिए की इस बयान से जजों का क्या मतलब है?
'इंसाफ में देरी यानि इंसाफ का क़त्ल' इस विषय पर कहानी बनाइएl
पाठ्यपुस्तक पृष्ठ संख्या 65 पर शब्द संकलन में दिए गए प्रत्येक शब्द से वाक्य बनाइएl
बरी करना, अपील करना, मुआवजा, बेदखली, उल्लंघनl
यह पोस्टर भोजन अधिकार अभियान द्वारा बनाया गया है।
इस पोस्टर को पढ़ कर भोजन के अधिकार के बारे में सरकार के दायित्वों की सूची बनाइए।
इस पोस्टर में कहा गया है कि "भूखे पेट भरे गोदाम! नहीं चलेगा, नहीं चलेगा !" इस व्यक्तव्य को पृष्ठ 61 पर भोजन के अधिकार के बारे में दिए गए चित्र निबंध से मिला कर देखिए।
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