'इंसाफ में देरी यानि इंसाफ का क़त्ल' इस विषय पर कहानी बनाइएl
श्रीमान शंकर एक सरकारी कर्मचारी थेl उन्होंने अपना पुश्तैनी मकान किराए पर दिया हुआ था और सरकारी मकान में रहते थेl नौकरी ख़तम होने के बाद जब वे दोबारा अपने पुश्तैनी मकान में रहने आये और उन्होंने किरायदार को मकान खाली करने को कहा तो उसने मकान खाली करने से इंकार कर दियाl श्रीमान शंकर को किराय के माकन में रहना पड़ाl उन्होंने कोर्ट में किरायदार के खिलाफ याचिका दायर कीlपांच साल केस चलने के बात जिला अदालत ने मकान मालिक श्रीमान शंकर के पक्ष में फैसला सुनाया और वे मुकदमा जीत गएl किरायदार ने जिला अधिकारी के फैसले से असहमत होकर हाई कोर्ट में अपील दायर कर दीl लगातार तारीखें पड़ने लगीl न्याय होने में और दस साल गुजर गएl श्रीमान शंकर को पन्द्रह साल किराय के मकान में रहना पड़ाl उन्होंने महसूस किया की न्याय में विलम्ब एक प्रकार से न्याय का निषेध ही थाl