अतीत दबे पाँव
स्पष्ट कीजिए कि सिन्धु घाटी के लोगों में कला या सुरुचि का महत्त्व ज्यादा था?
वास्तुकला या नगर-नियोजन के साथ-साथ धातु और पत्थर की मूर्तियाँ, मृद्भांड, उन पर चित्रित मनुष्य, वनस्पति और पशुपक्षियों की छवियाँ, सुनिर्मित मुहरें, उन पर बारीकी से उत्कीर्ण आकृतियाँ, खिलौने, केश-विन्यास, आभूषण और सबसे ऊपर सुघड़ अक्षरों का लिपिरूप सिन्धु सभ्यता की कलात्मकता को अभिव्यक्त करते हैं। ये सारी चीजें तकनीकी विकास का उतना आभास नहीं देतीं, जितना कि कलात्मकता का। इन सबमें आकार की भव्यता की जगह उसमें कला की भव्यता दिखाई देती है। इसी आधार पर यह कहा जा सकता है कि सिन्धु घाटी के लोगों के लिए कला का महत्त्व ज्यादा था।
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सिन्धु सभ्यता का पता कैसे चला था
लेखक राजस्थान और सिन्ध के प्राकृतिक वातावरण का वर्णन करते हुए किस अंतर को स्पष्ट करता है?
निम्न वर्ग के मकानों के बारे में लेखक का क्या अनुमान है?
ला-कार्बूजिए और मोहन- जोदड़ो के बीच किस संयोग के बारे में लेखक बताता है?
सिन्धु सभ्यता की सामाजिक एवं सांस्कृतिक विशेषता क्या है?
आधुनिक शहर नियोजन पर लेखक का दृष्टिकोण बताइए?
खुदाई में मिले महाकुंड के बारे में बताइए।
कोठार किसलिए इस्तेमाल होते थे?
मोहनजोदड़ो की गृह-निर्माण योजना पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
लेखक ने प्राचीन लैंडस्केप किसे कहा है? इसकी क्या विशेषता है?
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