अतीत दबे पाँव
सिन्धु सभ्यता की खूबी उसका सौन्दर्य बोध है जो राजपोषित या धर्मपोषित न होकर समाज पोषित था। ऐसा क्यों कहा गया?
लेखक का मानना है कि मोहन-जोदड़ों की सभ्यता साधन सम्पन्न थी। यह सभ्यता भव्यता के स्थान पर कलात्मकता पर अधिक जोर देती थी। इस तरह इस सभ्यता के लोगों की रुचि बोध कला से जुड़ा माना जाता है। वास्तुकला या नगर नियोजन ही नहीं धातु और पत्थर की मूर्तियों, मृदमांड, ऊपर चित्रित मनुष्य वनस्पति और पशु-पक्षियों की छवियाँ, सुनिर्मित मुहरें, उन पर बारीकी से उत्कीर्ण आकृतियाँ, खिलौने केश-विन्यास आभूषण और सबसे ऊपर सुघड़ अक्षरों का लिपिरूप सिन्धु सभ्यता को तकनीक सिद्ध से ज्यादा कला-सिद्ध जाहिर करता है। यह सभ्यता धर्मतंत्र या राजतंत्र की ताकत का प्रदर्शन करने वाली महलों, उपासना स्थलों आदि का निर्माण नहीं करती है। वह आम आदमियों से जुड़ी चीजों को सलीके से रचती है। इन सारी चीजों में उसका सौन्दर्य बोध उभरता है। इन्हीं बातों के आधार पर कहा गया है कि “सिन्धु सभ्यता की खूबी उसका सौन्दर्य बोध है जो राजपोषित या धर्मपोषित न होकर समाज पोषित था।” निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं : (i) सिन्धु सभ्यता-समाज पोषित संस्था का समर्थन करती थी। (ii)सभ्यता ताकत के बल पर न होकर आपसी समझ पर आधारित। (iii) सभ्यता में आडंबर न होकर सुंदरता थी। (iv) तरह से समाज स्वानुशासित। (v) समाज में सौंदर्य बोध था न कि कोई राजनीतिक या धार्मिक आडंबर।
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सिन्धु सभ्यता का पता कैसे चला था
लेखक राजस्थान और सिन्ध के प्राकृतिक वातावरण का वर्णन करते हुए किस अंतर को स्पष्ट करता है?
निम्न वर्ग के मकानों के बारे में लेखक का क्या अनुमान है?
ला-कार्बूजिए और मोहन- जोदड़ो के बीच किस संयोग के बारे में लेखक बताता है?
सिन्धु सभ्यता की सामाजिक एवं सांस्कृतिक विशेषता क्या है?
आधुनिक शहर नियोजन पर लेखक का दृष्टिकोण बताइए?
खुदाई में मिले महाकुंड के बारे में बताइए।
कोठार किसलिए इस्तेमाल होते थे?
मोहनजोदड़ो की गृह-निर्माण योजना पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
लेखक ने प्राचीन लैंडस्केप किसे कहा है? इसकी क्या विशेषता है?
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