जूझ

Question

‘दत्ता जी राव की सहायता के बिना ‘जूझ’ कहानी का ‘मैं’ पात्र वह सब नहीं या सकता जो उसे मिला।’ टिप्पणी कीजिए।

अथवा

कहानीकार के शिक्षित होने के संघर्ष में दत्ता जी राव देसाई के योगदान को ‘जूझ ‘ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

Answer

‘मैं’ अर्थात् लेखक पाठशाला जाने के लिए तड़पता है। उसे उसके पिता ने स्कूल जाने से रोक दिया है। पिता को मनाने में लेखक व उसकी माँ भी सफल नहीं हो पाते। उनके लिए गाँव के सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्ति दत्ता साहब ही अंतिम उपाय बचे थे। लेखक और उसकी माँ उनसे सहायता लेने के लिए उनके पास जाते हैं। उनसे दबाव डलवाने के लिए वे झूठ का भी सहारा लेते हैं। दत्ताजी राव के कहने पर लेखक के पिता उसे पड़ाने के लिए तैयार हो जाते हैं। पाठशाला में लेखक अन्य बालकों के संपर्क में आता है। मराठी के एक अच्छे अध्यापक के संपर्क में आकर वह कविता रचने लगता है। इस प्रकार लेखक दत्ताजी राव की सहायता के बिना वह सब कुछ नहीं पा सकता था, जो उसे मिला।

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Some More Questions From जूझ Chapter

लेखक की माँ का उसके पिता के बारे में क्या सोचना था? उसकी माँ ने उसका साथ किस प्रकार दिया?

दत्ता जी राव के पास जाने के बाद लेखक की माँ ने उन्हें किस बात का विश्वास दिलाया?

लेखक ने दत्ताजी राव को किस बात का विश्वास दिलाया?

दत्ता जी राव के सामने लेखक के पिता ने उसकी पढ़ाई रोक देने के क्या कारण बताये हैं?

पड़ाने के लिए लेखक के पिता ने क्या-क्या शर्त रखी?

अथवा

दादा ने मन मारकर अपने बच्चे को स्कूल भेजने की बात मान तो ली, पर खेती-बड़ी के बारे में उससे क्या-क्या वचन लिए? ‘जूझ’ के आधार पर उत्तर दीजिए।

लेखक को मास्टर की छड़ी की मार अच्छी क्यों लगती है?

दुबारा पाठशाला जाने के बाद लेखक का पहले दिन का अनुभव कैसा रहा?

बसंत पाटील को लेखक ने अपना दोस्त बनाने की कोशिश क्यों की?

लेखक बचपन में कविताएँ किस तरह लिखता है?

सौंदलगेकर कौन थे तथा उनकी क्या विशेषता थी?