जूझ
स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ?
अथवा
‘जूझ’ कहानी के लेखक में कविता-रचना के प्रति रुचि कैसे उत्पन्न हुई? पाठ के आधार पर बताइए।
लेखक की पाठशाला में मराठी के मास्टर थे जिनका नाम न. वा. सौंदलोकर था। वह कविता के अच्छे रसिक एव मर्मज्ञ थे। उनकी कविता पड़ाने के अंदाज ने लेखक को कविता रचने की ओर आकर्षित किया। वह कविता पड़ता है। धीरे-धीरे उसके मन में कविता रचने की भी प्रतिभा पैदा हुई। शुरू में उसके मन मे एक डर बैठा हुआ था। उसे कवि किसी दूसरे लोक के लगते थे। सौदलगेकर मास्टर एक कवि थे। उन्होंने दूसरे कवियों के बारे में भी बताया था। इसके बाद उसे विश्वास हुआ कि कवि उसी की तरह आदमी ही होते हैं। यह विश्वास पैदा होने के बाद ही उसके मन में स्वयं कविता रच लेने का आत्म विश्वास पैदा हुआ। वह अपने आस-पास के वातावरण से जुड़ी चीजों पर तुकबंदी भी करने लगा।
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लेखक की माँ का उसके पिता के बारे में क्या सोचना था? उसकी माँ ने उसका साथ किस प्रकार दिया?
दत्ता जी राव के पास जाने के बाद लेखक की माँ ने उन्हें किस बात का विश्वास दिलाया?
लेखक ने दत्ताजी राव को किस बात का विश्वास दिलाया?
दत्ता जी राव के सामने लेखक के पिता ने उसकी पढ़ाई रोक देने के क्या कारण बताये हैं?
पड़ाने के लिए लेखक के पिता ने क्या-क्या शर्त रखी?
अथवा
दादा ने मन मारकर अपने बच्चे को स्कूल भेजने की बात मान तो ली, पर खेती-बड़ी के बारे में उससे क्या-क्या वचन लिए? ‘जूझ’ के आधार पर उत्तर दीजिए।
लेखक को मास्टर की छड़ी की मार अच्छी क्यों लगती है?
दुबारा पाठशाला जाने के बाद लेखक का पहले दिन का अनुभव कैसा रहा?
बसंत पाटील को लेखक ने अपना दोस्त बनाने की कोशिश क्यों की?
लेखक बचपन में कविताएँ किस तरह लिखता है?
सौंदलगेकर कौन थे तथा उनकी क्या विशेषता थी?
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