रघुवीर सहाय
‘हम समर्थ शक्तिमान और हम एक दुर्बल की लाएँगे’ पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है?
इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने यह व्यंग्य किया है कि टेलीविजन (मीडिया) के लोग बहुत ताकतवर है। वे सोचते हैं कि हम जो चाहें जैसे चाहें कार्यक्रम को दर्शकों को दिखा सकते हैं। कार्यक्रम का निर्माण एवं प्रस्तुति उनकी मर्जी से ही होती है। वे करुणा को भी बेच सकते हैं।
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दूरदर्शन वाले कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते हैं?
दूरदर्शन वाले किस अवसर की प्रतीक्षा में रहते हैं?’
प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?
एक और कोशिशदर्शक
धीरज रखिए
देखिए
हमें दोनों एक संग रुलाने हैं
आप और वह दोनों
(कैमरा
बस करो
नहीं हुआ
रहने दो
परदे पर वकत की कीमत है)
अब मुस्कुराएँगे हम
आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
(बस थोड़ी ही कसर रह गई)
धन्यवाद।एक और कोशिश के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि यह कोशिश कौन कर रहा था तथा उसकी कोशिश क्या थी?
‘हमें दोनों एक संग रुलाने हैं’ काव्य पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
दूरदर्शन वालों के अनुसार कार्यक्रम में क्या कमी रह गई?
इस काव्यांश के आधार पर दूरदर्शन के कार्यक्रमों पर टिप्पणी कीजिए।
कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में रखी गई हैं-आपकी समझ से इनका क्या औचित्य है?
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