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रघुवीर सहाय

Question
CBSEENHN12026140

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

एक और कोशिश

दर्शक

धीरज रखिए

देखिए

हमें दोनों एक संग रुलाने हैं

आप और वह दोनों

(कैमरा

बस करो

नहीं हुआ

रहने दो

परदे पर वकत की कीमत है)

अब मुस्कुराएँगे हम

आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम

(बस थोड़ी ही कसर रह गई)

धन्यवाद।

Solution

प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ नई कविता के सशक्त कवि रघुवीर सहाय द्वारा रचित कविता ‘कैमरे में बद अपाहिज’ मे अवतरित हैं। इस कविता में कवि ने टेलीविजन कार्यक्रमों की संवेदनहीनता पर करार व्यंग्य किया है। यहाँ एक अपंग व्यक्ति पर तैयार किए जा रहे कार्यक्रम की वास्तविकता को उजागर किया गया है।

व्याख्या: कार्यक्रम संचालक अपंग व्यक्ति को रोते और कसमसाते हुए टी. वी. के परदे पर दर्शकों को दिखाना चाहता है। उसका भरपूर प्रयास रहता है कि अपाहिज व्यक्ति रोने लगे ताकि कार्यक्रम रोचक एवं प्रभावी बन जाए। संचालक एक और कोशिश करता है। वह दर्शकों से धैर्य रखने की अपील भी करता है। संचालक अपंग व्यक्ति और दर्शक दोनों को रुलाने की कोशिश में जुट जाता है। जब उसकी कोशिश पूरी तरह सफल नहीं हो पाती है तब वह अपने कैमरामैन को हिदायत देता है कि अब बस करो और यदि रोना संभव नहीं हुआ तो रहने दो। परदे पर समय की बड़ी कीमत है। कार्यक्रम को शूट करना काफी महँगा पड़ता है। हम इसके लिए ज्यादा समय और पैसा बर्बाद नहीं कर सकते। अब रोना-पीटना बंद करो। अब हमारे मुस्कराने की बारी है अर्थात् अब हम अपनी वास्तविकता पर लौट आएँगे। संचालक महोदय दर्शकों को बताते हैं कि हमने यह कार्यक्रम सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति हेतु दिखाया था, इसमें बस थोड़ी सी कमी रह गई अर्थात् रोने वाला सीन नहीं आ सका)।

इससे स्पष्ट है कि संचालक अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु कार्यक्रम दिखा रहा था। वह एक व्यक्ति की अपंगता को भुनाने की कोशिश कर रहा था। साथ ही वह दर्शकों का धन्यवाद भी करता है।

विशेष: 1. यह टेलीविजन कार्यक्रमों की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न लगाता है।

2. व्यंजना शक्ति का प्रभाव है।

3. ‘परदे पर’ में अनुप्रास अलंकार है।

4. खड़ी बोली का प्रयोग है।

Some More Questions From रघुवीर सहाय Chapter

रघुवीर सहाय के जीवन एवं साहित्य का परिचय दीजिए।

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

हम दूरदर्शन पर बोलेंगे

हम समर्थ शक्तिवान

हम एक दुर्बल को लाएँगे

एक बंद कमरे में

उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं?

तो आप क्यों अपाहिज हैं?

आपका अपाहिजपन तो दुःख देता होगा

देता है?

(कैमरा दिखाओ इसे बड़ा बड़ा)

हाँ तो बताइए आपका दुःख क्या है

जल्दी बताइए वह दुःख बताइए

बता नहीं पाएगा।

दूरदर्शन वाले दूरदर्शन पर क्या बोलेंगे?

वे किसे और क्यों लेकर आएँगे?

वे उससे क्या-क्या प्रश्न पूछते हैं?

वे कैमरे को क्या निर्देश देते हैं और क्यों?

मीडियाकर्मी अपंग व्यक्ति से क्या सोचकर बताने को कहना है?

वे अपाहिज को संकेत में क्या बताते हैं?

दूरदर्शन वाले कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते हैं?

दूरदर्शन वाले किस अवसर की प्रतीक्षा में रहते हैं?’