भवानी प्रसाद मिश्र

Question

निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
हे सजीले हरे सावन
हे कि मेरे पुण्य-पावन
तुम बरस लो, वे न बरसें
पाँचवें को वे न तरसे।

Answer

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने खड़ी बोली की छंदमुक्त कविता का प्रयोग किया है। तत्सम, तद्भव शब्दावली के साथ स्थानीय शब्दों के प्रयोग सार्थक रूप से हुए हैं। कवि ने सावन के लिए ‘सजीले’ और ‘हरे’ विशेषणों के साथ ‘पुण्य-पावन’ पदावली का भी प्रयोग किया है। ‘पुण्य-पावन’ में अनुप्रास और ‘बरसने’ में यमक अलंकार का प्रयोग है। भाषा सरल, सहज और जनसाधारण के योग्य है। कवि ने सावन के लिए सजीले और हरे विशेषणों का प्रयोग करके संदेशवाहक का मान बढ़ाया है, साथ ही उसे पुण्य’ पावन कहकर सम्बोधित किया है। कवि सावन को तो खूब बरसने की स्वीकृति देता है परन्तु पिता की अश्रुधारा सहन नहीं होती। इसलिए कवि सावन को ऐसी बात कहने से मना करता है कि उसके पिताजी को क्लेश हो और उनकी आँखों में आँसू आएँ। कवि यह भी नहीं चाहता कि पिता जी पाँचवें पुत्र भवानी से मिलने के लिए आतुर हो जाएँ।

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Some More Questions From भवानी प्रसाद मिश्र Chapter

किंतु उनसे यह न कहना
उन्हें देते धीर रहना,
उन्हें कहना लिख रहा हूँ,
उन्हें कहना पढ़ रहा हूँ।
काम करता हूँ कि कहना,
नाम करता हूँ कि कहना,
चाहते हैं लोग कहना,
मत करो कुछ शोक कहना,

और कहना मस्त हूँ मैं,
कातने में व्यस्त हूँ मैं,
वजन सत्तर सेर मेरा,
और भोजन ढेर मेरा,
कूदता हूँ, खेलता हूँ,
दू:ख डट कर ठेलता हूँ,
और कहना मस्त हूँ, मैं,
यों न कहना अस्त हूँ मैं,
हाय रे, ऐसा न कहना,
है कि जो वैसा न कहना,
कह न देना जागता हूँ,
आदमी से भागता हूँ,

कह न देना मौन हूँ मैं,
खुद ना समझुँ कौन हूँ मैं,
देखना कुछ बक न देना,
उन्हें कोई शक न देना,
हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवें को वे न तरसें।,

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