साखी
कबीर की उद्धत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
कबीर ने अपनी साखियाँ सधुक्कड़ी भाषा में लिखी है। इनकी भाषा मिली-जुली है। इनकी साखियाँ संदेश देने वाली होती हैं। वे जैसा बोलते थे वैसा ही लिखा है। लोकभाषा का भी प्रयोग हुआ है; जैसे- खायै, नेग, मुवा, जाल्या, आँगणि आदि भाषा में लयबद्धता, उपदेशात्मकता, प्रवाह, सहजता, सरलता शैली है।
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अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?
कबीर की उद्धत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप उदाहरण के अनुसार लिखिए। -
उदाहरण − जिवै - जीना
औरन, माँहि, देख्या, भुवंगम, नेड़ा, आँगणि, साबण, मुवा, पीव, जालौं, तास।
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