Question
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये:
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
Solution
कबीर कहते हैं कि जब मैं था अर्थात् मेरे अंदर 'मैं' की भावना, अहंकार विद्यमान था तब मेरे पास हरी नही थे और अब हरी हैं, भगवान हैं तो मेरे अंदर अहंकार का भाव नहीं है। अब मेरे ह्रदय मैं प्रभु के ज्ञान के दीपक का प्रकाश फैल गया है तो अज्ञान रूपी अंधकार मिट गया हैं। क्योंकि जब तक मनुष्य में अज्ञान रुपी अंधकार छाया है वह ईश्वर को नहीं पा सकता। जब ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है तब अहंकार दूर हो जाता है।