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साखी

Question
CBSEENHN10002363

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये
ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोई |
अपना तन सीतल करै, औरन कौ सुख होइ ||

'अपना तन शीतल' कैसे हो जाता है'

Solution

जब हम मीठा और अच्छा बोलते हैं तो स्वयं को बहुत संतोष मिलता है। सकरात्मक ऊर्जा एवं तरंगे शरीर  को शीतल कर देती है गन्दा, कड़वा और नकरात्मक बोलने से मन कुंठित हो जाता है।  

Some More Questions From साखी Chapter

संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी कौन? यहाँ ‘सोना’ और ‘जागना’ किसके प्रतीक हैं? इसका प्रयोग यहाँ क्यों किया गया है? स्पष्ट कीजिए।

अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?

‘ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होई’− इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?

कबीर की उद्धत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये:
बिरह भुवंगम तन बसै,  मंत्र न लागै कोइ।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये:
कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै बन माँहि।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये:
 जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये:
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।

पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप उदाहरण के अनुसार लिखिए। -
उदाहरण − जिवै - जीना
औरन, माँहि, देख्या, भुवंगम, नेड़ा, आँगणि, साबण, मुवा, पीव, जालौं, तास।

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर भाव स्पष्ट कीजिये:
ऐसी बाणी बोलिये, मन का आपा खोई |
अपना तन सीतल करै, औरन कौ सुख होइ ||