निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये
ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोई |
अपना तन सीतल करै, औरन कौ सुख होइ ||
'अपना तन शीतल' कैसे हो जाता है'
जब हम मीठा और अच्छा बोलते हैं तो स्वयं को बहुत संतोष मिलता है। सकरात्मक ऊर्जा एवं तरंगे शरीर को शीतल कर देती है गन्दा, कड़वा और नकरात्मक बोलने से मन कुंठित हो जाता है।



