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साखी

Question
CBSEENHN10002352

अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?

Solution

मनुष्य को परिष्कार और आत्मोन्नति के प्रयास निरंतर करते रहना चाहिए। निंदा करनेवाले के जरिये ही हमें अपने परिष्कार का अवसर मिलता है। अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने बताया है कि हमें अपने आसपास निंदक रखने चाहिए ताकि वे हमारी त्रुटियों को बता सके। वास्तव में निंदक हमारे सबसे अच्छे हितेषी होते हैं। उनके द्वारा बताए गए त्रुटियों को दूर करके हम अपने स्वभाव को निर्मल बना सकते हैं।

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अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?

‘ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होई’− इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?

कबीर की उद्धत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये:
बिरह भुवंगम तन बसै,  मंत्र न लागै कोइ।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये:
कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै बन माँहि।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये:
 जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये:
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।

पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप उदाहरण के अनुसार लिखिए। -
उदाहरण − जिवै - जीना
औरन, माँहि, देख्या, भुवंगम, नेड़ा, आँगणि, साबण, मुवा, पीव, जालौं, तास।