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साखी

Question
CBSEENHN10002358

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये:
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।

Solution
कबीर के अनुसार अर्थात् संसार पोथी पढ़-पढ़ कर मर गया कोई भी पंडित नही हुआ अर्थात् केवल पुस्तकीय ज्ञान के आधार पर ही कोई ज्ञानवान नहीं बन सकता यदि एक अक्षर प्रिय अर्थात् ईश्वरीय प्रेम का पढ़ लिया तो वह पंडित हो जायेगा, ज्ञानी हो जायेगा। प्रेम से इश्वर का स्मरण करने से ही उसे प्राप्त किया जा सकता है। प्रेम में बहुत शक्ति होती है।

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निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये:
कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै बन माँहि।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये:
 जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये:
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।

पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप उदाहरण के अनुसार लिखिए। -
उदाहरण − जिवै - जीना
औरन, माँहि, देख्या, भुवंगम, नेड़ा, आँगणि, साबण, मुवा, पीव, जालौं, तास।

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर भाव स्पष्ट कीजिये:
ऐसी बाणी बोलिये, मन का आपा खोई |
अपना तन सीतल करै, औरन कौ सुख होइ ||


निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये
ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोई |
अपना तन सीतल करै, औरन कौ सुख होइ ||

इस दोहे के कवी का नाम लिखिए


निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये
ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोई |
अपना तन सीतल करै, औरन कौ सुख होइ ||

'मन का आपा खोई' से क्या अभिप्राय हैं


निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये
ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोई |
अपना तन सीतल करै, औरन कौ सुख होइ ||

'अपना तन शीतल' कैसे हो जाता है'