तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
लक्ष्मण के व्यवहार से सारी राजसभा हाय! हाय! करने लगी थी और कहने लगी थी कि लक्ष्मण का परशुराम के प्रति व्यवहार अनुचित था।
Sponsor Area
“सामाजिक जीवन में क्रोध की ज़रूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाए जाने बाले बहुत से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।”
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक भाव लिए नहीं होता बल्कि कभी-कभी सकारात्मक भी होता है। इसके पक्ष या विपक्ष में अपना मत प्रकट कीजिए।
Sponsor Area
Sponsor Area