निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये: छाया मत छूना मन, होगा दु :ख दूना।। यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया; जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया। प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है, हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है। जो है यथार्थ कठिन उस का तू कर पूजन
कवि ने किस प्रकार अभावों को प्रकट किया है?
Answer
Short Answer
कवि ने मान-सम्मान, धन-दौलत और सुखों की पूंजी के अभाव को प्रकट किया है।
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