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गिरिजाकुमार माथुर - छाया मत छूना

Question
CBSEENHN10001835

‘छाया मत छूना’ कविता के आधार पर श्री गिरिजा कुमार माथुर की मानसिक सबलता पर टिप्पणी कीजिए।

Solution

श्री गिरिजा कुमार माथुर छायावादी काव्य धारा से प्रभावित थे और उनकी कविता में प्रेम-सौंदर्य और कल्पना की अधिकता है पर कवि ने ‘छाया मत छूना’ कविता में कल्पना की उड़ान से बहुत दूर होकर अपनी मानसिक सबलता का परिचय दिया है, कोरी कल्पनाएँ जीवन में किसी काम की नहीं होती। इनसे सुखों की अनुभूति होती है लेकिन जीवन का वास्तविक सुख प्राप्त नहीं होता। जीवन में सुख-दुःख तो दोनों आते हैं लेकिन दुःख की घड़ियों में हम सुखों को याद करके अपनी पीड़ा को बढ़ा लेते हैं। जीवन में केवल मधुर सपने नहीं हैं। इसमें कठोरता भी बसती है। हमें पुरानी बातों को भुलाकर भविष्य की ओर मजबूत कदमों से बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए।
क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?
जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण।

जीवन की सार्थकता इसी में है कि हम अपने लक्ष्य की ओर अपनी दृष्टि जमाएं रखें और आगे बढ़ते जाएं न कि पिछले सुखों को याद कर-कर आसू बहाते रहें।

Some More Questions From गिरिजाकुमार माथुर - छाया मत छूना Chapter

‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले’ - यह भाव कविता की किस पंक्ति से झलकता है?

कविता में व्यक्त दु:ख के कारणों को स्पष्ट कीजिए।

‘जीवन में है सुरंग सुधियाँ सुहावनी’ से कवि का अभिप्राय जीवन की मधुर स्मृतियों से है। आपने अपने जीवन की कौन-कौन सी स्मृतियां संजो रखी हैं?

‘क्या हुआ जो खिला फूल रस बसंत जाने पर?’ कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी उपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है। क्या आप ऐसा मानते हैं? तर्क सहित लिखिए।

आप गर्मी की चिलचिलाती धूप में कभी सफ़र करें तो दूर सड़क पर आपको पानी जैसा दिखाई देगा पर पास पहुँचने पर वहाँ कुछ नहीं होता। अपने जीवन में भी कभी-कभी हम सोचते कुछ हैं, दिखता कुछ है लेकिन वास्तविकता कुछ और होती है। आपके जीवन में घटे ऐसे किसी अनुभव को अपने प्रिय मित्र को पत्र लिखकर अभिव्यक्त कीजिए।

‘छाया मत छूना’ कविता के आधार पर श्री गिरिजा कुमार माथुर की मानसिक सबलता पर टिप्पणी कीजिए।

कवि गिरिजाकुमार माथुर की  ‘पंद्रह अगस्त’ कविता खोजकर पढ़िए और उस पर चर्चा कीजिए।

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर उसकी सप्रसंग व्याख्या कीजिये:
छाया मत छूना
मन, होगा दु:ख दूना।
जीबन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी
छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी:
तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
छाया मत छूना
मन, होगा दु:ख दूना।
जीबन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी
छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी:
तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण

अवतरण में निहित भावार्थ को स्पष्ट कीजिए।


निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
छाया मत छूना
मन, होगा दु:ख दूना।
जीबन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी
छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी:
तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण

‘छाया मत छूना’ का तात्पर्य स्पष्ट कीजिए।