निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये: छाया मत छूना मन, होगा दु :ख दूना।। यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया; जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया। प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है, हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है। जो है यथार्थ कठिन उस का तू कर पूजन
दुःख क्यों दुगुना लगने लगता है?
Answer
Short Answer
जब जीवन में दुःख की घड़ियां आने पर हम पिछले सुखों के बारे में सोचने लगते हैं तब दुःख दुगुना लगने लगता है।
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