गिरिजाकुमार माथुर - छाया मत छूना
कवि ने प्रकट किया है कि दुःख की घड़ियों में बीते समय के सुखों को याद करने से दुःख कम नहीं होते बल्कि बढ़ जाते हैं। हर व्यक्ति सुख पाना चाहता है; धन-दौलत प्राप्त करना चाहता है पर जितना भी हम सुखों के पीछे भागते हैं, वे मृगतृष्णा के समान ही सिद्ध होते हैं। हमें उनकी प्राप्ति सरलता से नहीं होती। हर सुख के पीछे दुःख तो अवश्य छिपा रहता है। हमें जीवन की कठोर सच्चाइयों को ही मन में रखना चाहिए।
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