नागार्जुन - यह दंतुरित मुसकान
उस छोटे दंतुरित बच्चे का ऐसा मनोरम रूप था कि चाहे कोई कितना भी कठोर क्यों न रहा हो पर उसे देख मन ही मन प्रसन्नता से भर उठता था। चाहें बाँस के समान हो या कांटों भरे कीकर के समान, पर उसकी सुदंरता से प्रभावित हो वह उसकी ओर देख मुस्कराने के लिए विवश हो जाता था।
Sponsor Area
कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है-
मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?
कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है-
वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?
मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?
Sponsor Area
Sponsor Area