मेरा छोटा- सा निजी पुस्तकालय - धर्मवीर भारती
स्कूल से इनाम में मिली अंग्रेजी की दोनों पुस्तकों ने लेखक के लिए नई दुनिया के द्वार खोल दिए। एक पुस्तक में पक्षियों के बारे में काफी जानकारी थी। विभिन्न पक्षियों की जातियों, उनकी बोलियों, उनकी आदतों की जानकारी उसमें दी गई थी। दूसरीं किताब थी ट्रस्टी द रग जिसमें पानी के जहाजो की कथाएँ थीं। जहाज कितने प्रकार के दातें हैं कौन-कौन सा माल लादकर लाते हैं, कहाँ से लाते है, कहाँ जाते हैं आदि की जानकारी मिलती है। इन दो किताबों से हमें पक्षियों से भरे आकाश और रहस्यों से भरे समुन्दर के बारे में पता चलता है। पिता ने अलमारी के एक खाने से अपनी चीजे हटाकर जगह बनाई और मेरी दोनों किताबें उस खाने में रखकर कहा कि-आज से यह खाना तुम्हारी अपनी किताबों का। यह तुम्हारी अपनी लाइब्रेरी हैं। इस प्रकार लेखक का नया मार्ग प्रशस्त हो गया।
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