अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन
भाव पक्ष- कवि मनुष्य को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हे मनुष्य! यह संसार अग्नि भरे रास्ते के समान कठिन है। इस कठिन मार्ग पर सबसे सुंदर दृश्य यही हो सकता है कि मनुष्य अपना खून-पसीना बहाते हुए संघर्ष रूपी अग्नि पथ पर निरन्तर आगे बढ़ता रहे है। पसीने व रक्त की बूँदों से वह लथपथ है। परिश्रम से टपका हुआ पसीना उसकी कर्मठता का बोध करा रहा है। सामने कठिनाईयों से भरा मार्ग है। फिर भी मनुष्यों को चलते चले जाना हैं।
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