साखियाँ एवं सबद
कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?
सामान्य हवा में वस्तुओं को प्रभावित करने की उतनी क्षमता नहीं होती जितनी आँधी में। इसलिए कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से की। हवा तीव्र गति से आँधी के रुप में जब चलती है तो स्थिति बदल जाती है। आँधी में वो क्षमता होती है कि वो सब कुछ उड़ा सके। उसी प्रकार ज्ञान की आँधी आने से मनुष्य के मन पर पड़े हुए हर एक किस्म के अज्ञान के परदे, मोह मायारूपी बुराई, छल कपट रूपी कूड़ा सब नष्ट हो जाते हैं। मनुष्य का मन निर्मल होकर प्रभु भक्ति में रम जाता है।
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मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढता फिरता है?
कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस' में क्यों कहा है?
कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?
ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
भाव स्पष्ठ कीजिये-
हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
भाव स्पष्ठ कीजिये-
आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालिए।
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए -
पखापखी, अनत, जोग, जुगति, बैराग, निरपख
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