एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त

Question

निम्नलिखित काव्याशं को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी;
कलुषित कर दी है मंदिर की
चिरकालिक शुचिता सारी।”
ऐं, क्या मेरा कलुष बड़ा है
देवी की गरिमा से भी;
किसी बात में हूँ मैं आगे
माता की महिमा के भी?

अछूत ने कौन-सा भारी अनर्थ किया?


  • मंदिर में आना
  • मंदिर में घुसकर चिरकालिक पवित्रता को नष्ट करना

     
  • पूजन करना
  • वेश बदल कर आना।

Answer

B.

मंदिर में घुसकर चिरकालिक पवित्रता को नष्ट करना

 

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Some More Questions From एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त Chapter

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
अविश्रांत बरसा करके भी
आँखे तनिक नहीं रीती।

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
हाय! वही चुपचाप पड़ी थी
अटल शांति-सी धारण कर

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी

सुखिया ने अपने पिता से देवी के प्रसाद का एक फूल क्यों माँगा?

मंदिर के सौन्दर्य का वर्णन अपने शब्दों में करो।

सुखिया का पिता किस सामाजिक बुराई का शिकार हुआ?

इस कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?

निम्नलिखित पंक्तिओं को पढ़कर उनका भाव पक्ष लिखिए:
उद्वेलिकत कर अश्रु-राशियाँ
हृदय- चिताएँ धधकार,
महा महामारी प्रचड़ं हो
फैल रही थी इधर-उधर।
क्षीण-कंठ मृतवत्साओं का
करुण रुदन दुर्दात नितांत
भरे हुए था निज कृश रव में
हाहाकार अपार अशांत