निम्नलिखित काव्याशं को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये: भक्त-वृंद मृदु-मधुर कंठ से गाते थे सभक्ति मुद-मय,- ‘पतित-तारिणी पाप-हारिणी, माता, तेरी जय-जय-जय!’ ‘पतित-तारिणी, तेरी जय-जय’- मेरे सुख से भी निकला, बिना बढ़े ही मैं आगे को जाने किस बल से ढिकला!
सुखिया के पिता आगे कैसे पहुँच गए?
धक्का लगने पर
भाव विभोर होकर
किसी के कहने पर
देवी माँ की प्रतिभा के प्रति आकर्षित अनजान बल से
Answer
Multi-choise Question
D.
देवी माँ की प्रतिभा के प्रति आकर्षित अनजान बल से
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Some More Questions From एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त Chapter