एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त
शिल्प सौन्दर्य-
1. बीमार बेटी की चिन्ता में घुल रहे पिता की दयनीय मनोदशा का अत्यन्त संजीव चित्रण किया गया है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
3. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
4. भावों को कथात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है।
5. तत्सम प्रधान शब्दावली का प्रयोग दृष्टव्य है।
6. भाषा सरस, सरल व मर्मस्पर्शी है।
7. भाषा शैली- भावात्मक, कथात्मक, संवादात्मक व उदाहरणात्मक है।
8. ‘नव-नव’ में पुनरूक्ति प्रकाश तथा ‘क्रमश: कंठ’ में अनुप्रास अलंकार है।
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