निम्नलिखित पद्याशं को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये बहुत रोकता था सुखिया को, ‘न जा खेलने को बाहर’, नहीं खेलना रुकता उसका नहीं ठहरती वह पल-भर। मेरा हृदय काँप उठता था बाहर गई निहार उसे; यही मनाता था कि बचा लूँ किसी भाँति इस बार उसे।
सुखिया बार-बार कहाँ जाती थी?
अकेले खेलने चली जाती
सभी जातियों के साथ खेलने चली जाती
घर से बाहर चली जाती
बार-बार बाहर से बुलाने पर नहीं आती
Answer
Multi-choise Question
B.
सभी जातियों के साथ खेलने चली जाती
Sponsor Area
Some More Questions From एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त Chapter