एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त
प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि सात दिनों के बाद कारावास से छूटने के पश्चात् जब सुखिया के पिता वापस लौटे तो उनकी पुत्री की चिता जलकर बुझ भी चुकी थी अर्थात् उसकी मृत्यु हो जाने पर उनके संबंधियों ने सुखिया का अंतिम संस्कार कर दिया था। पुत्री की बुझी चिता को देखकर सुखिया के पिता के हृदय में दुख और वेदना की चिता धधकने लगी अर्थात् उनका मन बहुत दुखी हो गया।
अर्थ-सौन्दर्य: कवि ने इस पंक्ति में बताया है कि एक चिता तो बुझ गई और दूसरी चिता धधकने लगी अर्थात् सुखिया की चिता तो जलकर बुझ गई परन्तु उसके पिता के हृदय में दुख वेदना की चिता धधकने लगी, इसमें अर्थ की सुंदरता है। एक चिता का बुझना। और दूसरी चिता का हृदय में धधकना।
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