धूल - रामविलास शर्मा
लेखक का मानना है कि हमारी देश भक्ति का स्तर इतना गिर गया है कि हम अपने देश की मिट्टी को आदर देने के स्थान पर उसका तिरस्कार करते है। हम अपने देश को छोड़कर विदेशों की ओर भाग रहे है। लेखक का यह संदेश है कि यदि हमारे भीतर अपने देश के प्रति ज़रा सा भी प्रेम है तो हम उसकी धूल को चाहे माथे से न लगाएँ परन्तु कम से कम उसका स्पर्श करने से पीछे न हटे। अपने देश की धूल का सम्मान करें। उससे घृणा न करे तथा उसे तुच्छ न समझकर उसके महत्त्व को समझे।
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