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बाज और साँप
साँप के विचारों में दार्शनिकता कब झलकती है?
Solution
Short Answer
साँप केवल रेंगने में ही संतुष्ट है जबकि बाज उड़ने को ही जीवन मानता है। साँप को बाज की यह इच्छा मूर्खतापूर्ण लगती है। क्योंकि वह सोचता है कि गुफा में जीवन सुरक्षित है, तभी उसका यह कहना कि सबके भाग्य में मरना लिखा है, यह शरीर मिट्टी का है और मिट्टी में ही मिल जाना है। अर्थात् सभी का अस्तित्व एक न एक दिन समाप्त हो जाना है, दर्शाता है कि साँप के विचार दार्शनिक हैं।
Some More Questions From बाज और साँप Chapter
साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। फिर उसने उड़ने की कोशिश क्यों की?
बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गाया था?
घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा?
कहानी में से वे पंक्तियाँ चुनकर लिखिए जिनसे स्वतंत्रता की प्रेरणा मिलती हो।
लहरों का गीत सुनने के बाद साँप ने क्या सोचा होगा? क्या उसने फिर से उड़ने की कोशिश की होगी? अपनी कल्पना से आगे की कहानी पूरी कीजिए।
क्या पक्षियों को उड़ते समय सचमुच आनंद का अनुभव होता होगा या स्वाभाविक कार्य में आनंद का अनुभव होता ही नहीं? विचार प्रकट कीजिए।
मानव ने भी हमेशा पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा की है। आज मनुष्य उड़ने की इच्छा किन साधनों से पूरी करता है?
यदि इस कहानी के पात्र बाज और साँप न होकर कोई और होते तब कहानी कैसी होती? अपनी कल्पना से लिखिए।
कहानी में से अपनी पसंद के पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
‘आरामदेह’ शब्द में ‘देह’ प्रत्यय है। यहाँ ‘देह’ ‘देनेवाला’ के अर्थ मैं प्रयुक्त होता है। देनेवाला के अर्थ में ‘द’, ‘प्रद’, ‘दाता’, ‘दाई’ आदि का प्रयोग भी होता है, जैसे-सुखद, सुखदाता, सुखदाई, सुखप्रद। उपर्युक्त समानार्थी प्रत्ययों को लेकर दो-दो शब्द बनाइए।
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