सूर के पद
गोपियों को ऐसा लगता था कि यशोदा से कितनी भी कृष्ण की शिकायत करो लेकिन वे उसे कुछ नहीं कहतीं। वास्तव में यशोदा के मना करने पर भी वे मानते नहीं थे। दूसरी ओर यशोदा उनकी हर अच्छी-बुरी हरकत पर सदा मंत्रमुग्ध रहती थीं। हर रूप में वे उन्हें प्रिय लगते थे। इसीलिए वे चाहकर भी कृष्ण को दंडित न कर पाती थीं।
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कुछ शब्द परस्पर मिलते-जुलते अर्थवाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं। और कुछ विपरीत अर्थवाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम, जैसे-
पर्यायवाची - चंद्रमा-शशि, इंदु, राका
मधुकर-भ्रमर, भौंरा, मधुप
सूर्य-रवि, भानु, दिनकर
विपरीतार्थक - दिन-रात
श्वेत-श्याम
शीत-उष्ण
पाठों से दोनों प्रकार के शब्दों को खोजकर लिखिए।
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