यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन को दिशा वेंने में किसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा और कैसे?
(नोट: इस प्रश्न का उत्तर छात्र कई तरह से दे सकता है। उसके जीवन में किसी भी व्यक्ति का प्रभाव हो सकता है। यहाँ विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से इसे स्पष्ट किया जा रहा है। हम किसी भी एक उदाहरण को अपना उत्तर मान सकते हैं।)
1. मेरे जीवन पर मेरी माँ का बहुत प्रभाव है। इस बात कौ मैं बहुत अच्छी तरह अनुभव करता हूँ। वैसे तो मेरी माँ गृहिणी है, लेकिन उनके सोचने-समझने का दायरा बहुत व्यापक है। वह पढ़ी-लिखी भी है। इसलिए उनको मेरी समस्यायें बहुत अच्छी तरह समझ में आती हैं। मैं उनकी तरह सोचने का प्रयास करता हूँ। वह सही गलत का फैसला बहुत अच्छी तरह कर लेती हैं। इसी के साथ वह नयी सोच एवं चीजों के प्रति रुचि से सुनती हैं। उनकी इच्छाशक्ति बहुत दृढ़ है। उनमे सहनशक्ति बहुत प्रबल है। मैं अपनी माँ के इन सारे गुणों को अपने व्यक्तित्व को शामिल होते देखना चाहता हूँ।
2. मैं अपने व्यक्तित्व के विकास मे अपने पिता का प्रभाव सबसे अधिक पाता हूँ। मेरे पिता मेरे सबसे बड़े आदर्श हैं। वह मुझे दुनिया में सबसे अच्छे लगते हैं। पिता होने के बाद भी वह मेरी बातों को अच्छी तरह समझते हैं। मेरी बातों को ध्यान से सुनकर उसको समझते हैं। उनको पढ़ने का बहुत शौक है। मुझे पढ़ने की आदत उन्हीं से मिली है। उन्होंने एक अच्छी लाइब्रेरी बना रखी है। उन्होंने मुझे हमेशा अच्छी पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है। दूसरों की इच्छा का ध्यान रखना मेरे पिता की दूसरी सबसे बड़ी विशेषता है। इस विशेषता को मैंने भी अपनाने का प्रयास किया है। में तो उन्हें इतना पसंद करता हूँ कि मैं उन्हीं की तरह चलने बैठने का प्रयास भी करता हूँ।
(छात्र इसी प्रकार अन्य लोगों के प्रभाव के बारे में लिख सकते हैं।)