‘त्याग तो वह होता ...... उसी का फल मिलता है।’ अपने जीवन के किमी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए।
जीजी का यह कथन पूर्णत: उचित है। जब हम उस चीज का त्याग दूसरों के लिए करते हैं जिसकी हमें भी जरूरत होती है तभी उस त्याग का फल मिलता है।
मेरे जीवन में भी एक ऐसा ही प्रसंग आया। दिल्ली में भयंकर जल-संकट चल रहा था। पीने के पानी का भयकर अकाल पड़ा था। मेरे घर में केवल एक बाल्टी पेयजल था। पड़ोसी के घर में बिल्कुल पानी नहीं था। यद्यपि मेरे परिवार के लिए भी यह पानी आवश्यक था पर मैंने आधी बाल्टी पानी पड़ोसी को दे दिया। उसके परिवारजनों ने उस जल से अपनी व्यास बुझाई। इसका फल मुझे अगले ही दिन मिल गया। दिल्ली का जल संकट दूर हो गया।