आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवस्था से किस तरह अलग है?
इसमें कोई दोराहे नहीं कि आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवस्था से बिलकुल भिन्न हैं। आर्थिक शक्ति के रूप में चीन के उदय को विश्व भर में चीन की दीवार व ड्रैगन के रूप में देखा जाता है। अपनी तेज़ आर्थिक वृद्धि के कारण चीन जहाँ विश्व की शक्ति का तीसरा बड़ा केंद्र बन रहा हैं,वही चीन की निरंतर आर्थिक वृद्धि को देखकर विशेषज्ञों का मानना हैं की 2040 तक वह दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति, अमरीका से भी आगे निकल जाएगा।
सन् 1970 के दशक एवं उसके बाद से कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए जिसके परिणामस्वरूप चीनी अर्थव्यवस्था विश्व की एक महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित हुई। चीन द्वारा किए गए आर्थिक प्रयासों को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता हैं:
- चीनी नेतृत्व ने 1970 के दशक में कुछ बड़े नीतिगत निर्णय लिए। चीन ने 1972 में अमरीका से संबंध बनाकर अपने राजनैतिक और आर्थिक एकांतवास को खत्म किया परिणाम स्वरूप उसके विदेशी व्यापर का रास्ता भी खुल गया। 1972 में चीन संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थाई सदस्य भी बन गया।
- सन् 1973 में प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई ने कृषि, उद्योग, सेना और विज्ञान-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव रखे।
- सन् 1978 में तत्कालीन नेता देंग श्याओपेंग ने चीन में आर्थिक सुधारों और ' खुलेद्वार की नीति' की घोषणा की। अब नीति यह हो गयी कि विदेश पूंजी और प्रौद्योगिकी के निवेश से उच्चतर उत्पादकता को प्राप्त किया जाए। बाजारमूलक अर्थव्यवस्था को अपनाने के लिए चीन ने अपना तरीका आजमाया। चीन ने 'शॉक थेरेपी ' पर अमल करने के बजाय अपनी अर्थव्यवस्था को चरणबद्ध ढंग से खोला।
- सन् 1982 में खेती का निजीकरण किया गया और उसके बाद 1998 में उद्योगों का। व्यापार संबंधी अवरोधों को सिर्फ 'विशेष आर्थिक क्षेत्रों' के लिए ही हटाया गया है जहाँ विदेशी निवेशक अपने उद्यम लगा सकते हैं।
- व्यापार के नये कानून तथा विशेष आर्थिक क्षेत्रों (स्पेशल इकॉनामिक जोन-SEZ) के निर्माण से विदेश-व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई । चीन पूरे विश्व में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सबसे आकर्षक देश बनकर उभरा। चीन के पास विदेशी मुद्रा का अब विशाल भंडार है और इसके दम पर चीन दूसरे देशों में निवेश करता है।
- चीन 2001 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल हो गया। इस तरह दूसरे देशों के लिए अपनी अर्थव्यवस्था खोलने की दिशा में चीन ने एक कदम और बढ़ाया। अब चीन की योजना विश्व आर्थिकी से अपने जुड़ाव को और गहरा करके भविष्य की विश्व व्यवस्था को एक मनचाहा रूप देने की थी।
क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर चीन एक ऐसी जबरदस्त आर्थिक शक्ति बनकर उभरा है कि सभी उसका लोहा मानने लगे हैं। चीन की अर्थव्यवस्था का बाहरी दुनिया से जुड़ाव और पारस्परिक निर्भरता ने अब यह स्थिति बना दी है कि अपने व्यावसायिक साझीदारों पर चीन का जबरदस्त प्रभाव बन चुका है और यही कारण है कि जापान, अमरीका, आसियान और रूस सभी व्यापार के आगे चीन से बाकी विवादों को भुला चुके हैं।