भारत और चीन के बीच विवाद के मामलों की पहचान करें और बताएँ कि वृहत्तर सहयोग के लिए इन्हें कैसे निपटाया जा सकता है। अपने सुझाव भी दीजिए।
भारत और चीन के बीच विवाद के मामले निम्नलिखित है:
- 1962 में चीन ने लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे को जबरन स्थापित करने के लिए भारत पर आक्रमण कर दिया था जिसकी परिणामस्वरूप 'हिंदी चीनी भाई-भाई' की भावना और एशिया के दो महान पड़ोसी देशों के सदियों पुराने चले आ रहे मित्रता के संबंधों को गहरी ठेस पहुँची।
- 1965 में जब पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया तो चीन ने उसकी मदद करके भारतवासियों की भावनाओं को ठेस पहुँचाई। स्वभाविक तौर पर दोनों देशों के संबंध और खराब हो गए।
- पाकिस्तान के साथ संधि करके चीन ने कश्मीर का कुछ भाग अपने अधीन कर लिया जिसे तथाकित पाकिस्तान द्वारा हड़पे गए कश्मीर का हिस्सा माना जाता है।
- चीन भारत की परमाणु परीक्षण परीक्षणों का विरोध करता हैं जबकि वह स्वयं परमाणु अस्त्र शस्त्र रखता है तथा पाकिस्तान को परमाणु शक्ति संपन्न चीन द्वारा ही बनाया गया है।
- 1950 में चीन द्वारा तिब्बत को हड़पने तथा भारत-चीन सीमा पर बस्तियाँ बसाने के निर्णय के बाद दोनों देशों के बीच संबंध बहुत बिगड़ गए।
वृहत्तर सहयोग के लिए भारत-चीन मतभेदों को निपटाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं:
- परस्पर सहयोग: दोनों देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यथासंभव परस्पर सहयोग देकर विकसित देशों से आर्थिक, वैज्ञानिक तथा सैनिक साज-समान की उन्नति के लिए सहयोग प्राप्त कर सकते हैं। जो भी देश आतंकवादी शिविरों का संचालन कर रहे हैं उनके विरुद्ध संयुक्त दबाव डालने की नीति अपना सकते हैं। दोनों देश पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण फैलाने वाली समस्याओं के समाधान में सहयोग दे सकते हैं।
- सांस्कृतिक संबंध: दोनों देशों में सांस्कृतिक संबंध स्थापित हों। भारत के कुछ लोग चीनी भाषा और चीनी साहित्य का अध्ययन करने के लिए चीन जा सकते हैं और कुछ चीनी नागरिक हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं का साहित्य के अध्ययन के लिए भारत आ सकते हैं। दोनों देशों में चित्रकला, वास्तुकला, मूर्तिकला, नृत्य-कला, फिल्मों आदि का आदान प्रदान किया जा सकता है।
- व्यापार को बढ़ावा: भारत और चीन में आंतरिक व्यापार को बढ़ावा दिया जा सकता है। दोनों देशों में कंप्यूटर से संबंधित सॉफ्टवेयर के आदान-प्रदान किया जा सकता हैं।
- शांति एवम् सद्भाव: दोनों देशों के प्रमुख नेता समय-समय पर एक दूसरे के विचारों का आदान- प्रदान करें जिससे दोनों देशों में सद्भाव और मित्रता स्थापित हो।
- नीतिगत बदलाव: दोनों देशों को अपना अंतरराष्ट्रीय प्रभाव बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने हितों एवं एशियाई क्षेत्र व हितों के दृष्टिगत समान नीतियाँ बनाने का प्रयास करना चाहिए।
दोनों देशों की सरकारें बातचीत के द्वारा हर समस्या का समाधान निकाल सकती हैं। दोनों ही देश की एक जैसी अनेक समस्याओं जैसे जनसंख्या वृद्धि, बेरोज़गारी, निबंध भौतिक जीवन स्तर आदि से जूझ रहे हैं। दोनों ही देश एक-समान समस्याओं से ग्रस्त हैं जिसे आपसी बातचीत द्वारा सुझाया जाना चाहिए।