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शीतयुद्ध का दौर

Question
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गुट-निरपेक्ष आंदोलन को तीसरी दुनिया के देशों ने तीसरे विकल्प के रूप में समझा। जब शीतयुद्ध अपने शिखर पर था तब इस विकल्प ने तीसरी दुनिया के देशों के विकास में कैसे मदद पहुँचाई?

Solution

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जब शीत युद्ध अपने चरम पर था तब गुट निरपेक्ष आंदोलन के रूप में एक नई धारणा उभरकर सामने आई।

गुटनिरपेक्ष देश शीतयुद्ध के दौरान महज करने वाले देश भर नहीं थे उन्हें 'अल्प विकसित देशों' का दर्जा भी मिला था।  उसी वक्त पूरी दुनिया को तीन भागो में विभाजित कर दिया गया।

  1. पहली दुनिया (पूँजीवाद गुट)
  2. दूसरी दुनिया (साम्यवादी गुट)
  3. तीसरी दुनिया (अल्प-विकसित व उपनिवेशक गुट)

इन देशों के सामने मुख्य चुनौती आर्थिक रूप से और ज्यादा विकास करने तथा अपनी जनता को गरीबी से उबारने की थी। नव-स्वतंत्र देशों की आजादी के लिहाज़ से भी आर्थिक विकास महत्त्वपूर्ण था। बगैर टिकाऊ विकास के कोई देश सही मायनों में आजाद नहीं रह सकता। उसे धनी देशों पर निर्भर रहना पड़ता। इसमें वह उपनिवेशक देश भी हो सकता था जिससे राजनीतिक आजादी हासिल की गई।

इसी समझ से नव अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की धारणा का जन्म हुआ। 1972 में इस सन्दर्भ में सयुंक्त राष्ट्रसंघ के व्यापर और विकास से संबंधित सम्मलेन में 'टुवार्ड्स अ न्यू ट्रेड पालिसी फॉर डेवलपमेंट' शीर्षक से एक रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें तीसरे दुनिया के देशों के विकास के लिए निम्नलिखित सुझावों पर बल दिया गया:

  1. अल्प विकसित देशों को अपने उन प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण प्राप्त होगा जिनका दोहन पश्चिम के विकसित देश करते हैं।
  2. अल्प विकसित देशों की पहुँच पश्चिमी देशों के बाजार तक होगी; वे अपना सामान बेच सकेंगे और इस तरह गरीब देशों के लिए यह व्यापार फायदेमंद होगा।
  3. पश्चिमी देशों से मंगायी जा रही प्रौद्योगिकी की लागत कम हो जाएगी।
  4. अल्प विकसित देशों की अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों में भूमिका बढ़ेगी।

अत: यह कहा जा सकता हैं की गुट निरपेक्षता का स्वरुप धीरे धीरे बदल रहा था और अब इसमें आर्थिक मुद्दों को अथिक महत्व दिया जाने लगा था। उपरोक्त सभी वर्णों से यह बात स्पष्ट हो जाती है की गुट-निरपेक्षता ने तीसरी दुनिया के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं।

Some More Questions From शीतयुद्ध का दौर Chapter

शीतयुद्ध के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन ग़लत है?

निम्न में से कौन-सा कथन गुट-निरपेक्ष आंदोलन के उद्देश्यों पर प्रकाश नहीं डालता ?

नीचे महाशक्तियों द्वारा बनाए सैन्य संगठनों की विशेषता बताने वाले कुछ कथन दिए गए हैं। प्रत्येक कथन के सामने सही या ग़लत का चिह्न लगाएँ।

नीचे कुछ देशों की एक सूची दी गई है। प्रत्येक के सामने लिखें कि वह शीतयुद्ध के दौरान किस गुट से जुड़ा था?

(क) पोलैंड
(ख) फ्रांस
(ग) जापान
(घ) नाइजीरिया
(ङ) उत्तरी कोरिया
(च) श्रीलंका

शीतयुद्ध से हथियारों की होड़ और हथियारों पर नियंत्रण - ये दोनों ही प्रक्रियाएँ पैदा हुई । इन दोनों प्रक्रियाओं के क्या कारण थे?

महाशक्तियाँ छोटे देशों के साथ सैन्य गठबंधन क्यों रखती थीं? तीन कारण बताइए?

कभी-कभी कहा जाता है कि शीतयुद्ध सीधे तौर पर शक्ति के लिए संघर्ष था और इसका विचारधारा से कोई संबंध नहीं था। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में एक उदाहरण दें।

शीतयुद्ध के दौरान भारत की अमरीका और सोवियत संघ के प्रति विदेश नीति क्या थी? क्या आप मानते हैं कि इस नीति ने भारत के हितों को आगे बढ़ाया?

गुट-निरपेक्ष आंदोलन को तीसरी दुनिया के देशों ने तीसरे विकल्प के रूप में समझा। जब शीतयुद्ध अपने शिखर पर था तब इस विकल्प ने तीसरी दुनिया के देशों के विकास में कैसे मदद पहुँचाई?

'गुट-निरपेक्ष आंदोलन अब अप्रासंगिक हो गया है'। आप इस कथन के बारे में क्या सोचते हैं। अपने उत्तर के समर्थन में तर्क प्रस्तुत करें।