केन्द्राभिमुखी तथा केन्द्राविमुखी शक्तियाँ के बारे में आप क्या जानते हो? खेलों में इनका प्रयोग किस प्रकार होता है?
केन्द्राभिमुखी शक्ति (Centripetal Force): यह वह शक्ति होती है जो एक वस्तु को तृतीय पथ पर घुमाने के लिए आवश्यक होती है तथा हमेशा वृत्तीय पथ के केन्द्र की और निर्देशित होती है, जो घूमने वाली वस्तु को केन्द्र या घूमने की घुरी की ओर घुमाती है। एक खिलाड़ी जब बैट घुमाता है तब उसको घुमाव देने के लिए केन्द्रीभिमुखी शक्ति का प्रयोग होता है।
केन्द्राविमुखी शक्ति (Centrifugal Force): जब आप किसी वस्तु को पकड़कर घुमाते हैं तब ऐसा लगता है, वह वस्तु हमें खींच रही है, यही शक्ति केन्द्राविमुखी शक्ति कहलाती है। यह शक्ति केन्द्र के बराबर एवं विपरीत होती है। खेलो में केन्द्रभिमुखी तथा केन्द्राविमुखी शक्तियों का प्रयोग बहुत अधिक किया जाता है।
खिलाड़ी को उपकरणों पर पकड़ बनाने के लिए केन्द्रभिमुखी शक्ति की आवश्यकता होती है। यदि केन्द्राविमुखी शक्ति अधिक हो जाती है तो खिलाड़ी की पकड़ कमजोर पड़ जाती है और बैट हाथ से छूट सकता है।
यह शक्तियाँ एक धावक पर उस समय लागू होती है जब-जब वह ट्रैक पर गोलाई में दौड़ते हुए अंदर की तरफ झुक जाता है।
एक साइकिल चालक गोलाई आने पर आवश्यक केन्द्राभिमुखी शक्ति प्राप्त करने के लिए गोलार्द्ध की तरफ तिरछा हो जाता है।
लोहे का गोला (Hammer) घुमाते समय खिलाड़ी गोले को घुमाता है। आवश्यक (Centripetal) शक्ति प्राप्त करने के लिए लेकिन खिलाड़ी को यह अहसास होता है कि गोला उसे खींच रहा है।



