अपने क्षेत्र में दो श्रमिकों से बात कीजिएl खेतों में काम करने वाले या विनिर्माण कार्य में लगे मजदूरो में से किसी को चुनेl उन्हें कितनी मजदूरी मिलती है? क्या उन्हें नगद पैसा मिलता है या वस्तु रूप में? क्या उन्हें नियमित रूप से काम मिलता है? क्या वे कर्ज से में ?
मेने अपने क्षेत्र के दो खेतिहर श्रमिक रामू और राधा से बात की। उन्होंने मुझे निम्लिखित जानकारी दी
मैंने रामू और राधा से कहा, 'आप कितनी मज़दूरी प्राप्त करते हैं?'
उन्होंने कहा, 'हमें केवल ₹ 35-40 ही मिलते हैं।
मैंने उनसे पुन: पूछा, 'आपका मजदूरी नकद में मिलती है या वस्तु में?'
उन्होंने कहा, 'हमें मजदूरी कभी नकद में और कभी वस्तु, जैसे-अनाज के रूप में मिलती हैं।'
मैंने कहा, 'क्या आप लोगों को नियमित रूप से काम मिलता है?
उन्होंने जवाब दिया, 'नहीं, पिछले वर्ष हमने वर्ष-भर में लगभग 200 दिन ही काम किया।'
अंत में मैंने पूछा, 'क्या आप ऋणग्रस्त हैं?'
रामू ने कहा, 'जब खेतों में कोई काम नहीं था तो मैंने स्थानीय साहूकार से 3000 रु का ऋण लिया। ईश्वर ही जनता है कि मैं उसे अब कैसे चूका पाउँगा।' राधा ने कहा, 'मैंने पिछले वर्ष गाँव के साहूकार से 2000 रु का ऋण लिया था। इसलिए उसने मुझे आगे ऋण देने से मना कर दिया है।'
इस प्रकार, मैंने अपने क्षेत्र मैं देखा कि:
(i) उन्हें 35-40 रु. प्रति दिन की मजदूरी मिलती हैl
(ii) उन्हें भुगतान नकद के रूप में किया जाता है।
(iii) वे नियमित रूप से काम नहीं करते हैंl उन्हें आधे साल के बेरोजगार रहना पड़ता हैl
(iv) हां, वे कर्ज में हैंl



