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जाति, धर्म और लैंगिक मसले

Question
CBSEHHISSH10018611

जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है:

  • स्री और पुरुष के बीच जैविक अंतर

  • समाज द्वारा स्री और पुरुष को दी गई आसमान भूमिकाएँ

  • बालक और बालिकाओं की संख्या का अनुपात

  • लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में महिलाओं को मतदान का अधिकार ना मिलना
  • लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में महिलाओं को मतदान का अधिकार ना मिलना

Solution

B.

समाज द्वारा स्री और पुरुष को दी गई आसमान भूमिकाएँ

Some More Questions From जाति, धर्म और लैंगिक मसले Chapter

विभिन्न तरह की सांप्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण भी दें।

बताइए कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं।

दो कारण बताएँ की क्यों सिर्फ़ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते।

भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है?

किन्ही दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं।

जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है:

भारत में यहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है :

सांप्रदायिक राजनीति के अर्थ संबंधी निम्नलिखित कथनों पर गौर करें। सांप्रदायिक राजनीति इस धारणा पर आधारित है कि:
(अ) एक धर्म दूसरों से श्रेष्ठ है।
(ब) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं।
(स) एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(द) एक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम करने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
इनमें से कौन या कौन-कौन सा कथन सही है?

भारतीय संविधान के बारे में इनमें से कौन सा कथन गलत है?

............... पर आधारित सामाजिक विभाजन सिर्फ़ भारत में ही है।