विभिन्न तरह की सांप्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण भी दें।
भारत में संविधान में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता तो भी प्राय सांप्रदायिक राजनीति में अनेक रूप धारण करते हुए दिखाई पड़ती है-
(i) सांप्रदायिक सोच अपने ही धार्मिक समुदायों पर प्रभुत्व ज़माने की प्रायः कोशिश करती है जिसके परिणामस्वरूप बहुसंख्यकवाद का जन्म होता है। अतः अल्पसंख्यक समुदाय अपनी पृथक राजनीति में विश्वास रखता है।
(ii) अपने दैनिक जीवन में हम सांप्रदायिक राजनीति को प्रत्यक्ष रूप में देखते है। धार्मिक पूर्वाग्रह, अपने धर्म को उत्तम मानने की परम्परा इसमें शामिल है।
(iii) सांप्रदायिक आधार पर राजनीति गोलबंदी सांप्रदायिकता का दूसरा रूप है। इस तरह के स्वरूप हिंसा, मारकाट व धर्मगुरु व भावात्मक अपील शामिल है।
(iv) सांप्रदायिकता का सबसे भयानक रूप हिंसा, मारकाट व धर्म के नाम पर शोषण है। 1947 में देश के विभाजन के समय भयानक दंगे हुए। आज़ादी के बाद भी व्यपक पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई।