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जाति, धर्म और लैंगिक मसले

Question
CBSEHHISSH10018610

किन्ही दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं।

Solution
संविधान का निर्माण करते समय धर्म-निरपेक्ष राज्य स्थापित करने का प्रयास किया गया। धार्मिक आधार पर किसी के भी साथ भेदभाव नहीं किया गया। भारत पूरी तरह से धर्म-निरपेक्ष देश बने इसलिए सरकार ने संविधान में अनेक प्रवधानों की व्यवस्था की है जिनमे से दो इस प्रकार है- 
(i) धर्म और जाती के आधार पर किसी से भी भेदभाव नहीं किया जा सकता। किसी को अछूत कहने पर भी दंड दिया जा सकता है। भारतीय राज्य में किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में नहीं अपनाया गया। 
(ii) भारत में सभी नागरिकों को अपनी इच्छा अनुसार किसी भी धर्म को चुनने और उसका प्रचार करने का पूरा अधिकार है। सभी धार्मिक समुदायों को अपने धर्म का अनुकरण करने की पूरी स्वतंत्रता है।

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जीवन के उन विभिन्न पहलुओं का जिक्र करें जिनमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव होता है या वे कमज़ोर स्थिति में होती हैं।

विभिन्न तरह की सांप्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण भी दें।

बताइए कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं।

दो कारण बताएँ की क्यों सिर्फ़ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते।

भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है?

किन्ही दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं।

जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है:

भारत में यहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है :

सांप्रदायिक राजनीति के अर्थ संबंधी निम्नलिखित कथनों पर गौर करें। सांप्रदायिक राजनीति इस धारणा पर आधारित है कि:
(अ) एक धर्म दूसरों से श्रेष्ठ है।
(ब) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं।
(स) एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(द) एक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम करने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
इनमें से कौन या कौन-कौन सा कथन सही है?

भारतीय संविधान के बारे में इनमें से कौन सा कथन गलत है?